Hearing Screening for Infants (शिशुओं की श्रवण जांच) एक जरूरी स्वास्थ्य जांच है जो यह सुनिश्चित करती है कि नवजात शिशु को कोई श्रवण दोष (hearing loss) तो नहीं है। यह जांच जीवन के पहले महीने में ही की जानी चाहिए ताकि सुनने से जुड़ी किसी भी समस्या का जल्द से जल्द पता लगाया जा सके और समय रहते इलाज शुरू किया जा सके।
Hearing Screening for Infants क्या होता है (What is Hearing Screening for Infants)?
यह एक त्वरित, सुरक्षित और दर्दरहित जांच होती है जिसमें यह जांचा जाता है कि नवजात शिशु की सुनने की क्षमता सामान्य है या नहीं। यह आमतौर पर अस्पताल में जन्म के कुछ दिनों के भीतर किया जाता है। अगर पहली जांच में कोई असामान्यता पाई जाती है, तो आगे और विस्तृत परीक्षण किए जाते हैं।
Hearing Screening for Infants कारण (Causes / क्यों आवश्यक है?):
शिशुओं में जन्मजात सुनने की समस्याओं के कई कारण हो सकते हैं:
- जन्म से पहले संक्रमण (जैसे Cytomegalovirus, Rubella)
- जन्म के समय ऑक्सीजन की कमी
- परिवार में बहरापन का इतिहास
- प्रीमैच्योर बर्थ (37 सप्ताह से पहले जन्म)
- लंबी समय तक ICU में रहना
- सिर की चोट या अन्य न्यूरोलॉजिकल स्थितियाँ
- कुछ दवाइयों का प्रभाव
शिशुओं में सुनने की समस्या के लक्षण (Symptoms of Hearing Loss in Infants):
(यह संकेत 6 माह से 1 वर्ष के बीच में स्पष्ट होते हैं)
- तेज़ आवाज़ पर भी प्रतिक्रिया न देना
- अपने नाम पर प्रतिक्रिया न देना
- आंखों की बजाय केवल चीजों की हरकत देखना
- बड़बड़ाहट या बोलना न शुरू करना
- आवाज़ों पर मुस्कान या घबराहट की प्रतिक्रिया का अभाव
- माँ या पिता की आवाज़ को पहचानने में असफल रहना
Hearing Screening for Infants कैसे पहचाने (How to Identify / Diagnosis):
शिशु के जन्म के बाद निम्न दो मुख्य स्क्रीनिंग टेस्ट किए जाते हैं:
- Otoacoustic Emissions (OAE): यह जांच करता है कि कान का भीतरी भाग (cochlea) ध्वनि के प्रति प्रतिक्रिया करता है या नहीं।
- Auditory Brainstem Response (ABR): यह जांच मस्तिष्क की श्रवण तंत्रिकाओं की प्रतिक्रिया को मापती है।
अगर इनमें से कोई भी टेस्ट असफल होता है, तो 3 महीने के भीतर फॉलोअप और पुष्टि परीक्षण कराए जाते हैं।
Hearing Screening for Infants इलाज (Treatment):
यदि शिशु में श्रवण हानि पाई जाती है, तो डॉक्टर इलाज की योजना बनाते हैं:
- Hearing Aids (श्रवण यंत्र) – यदि आंशिक बहरापन हो।
- Cochlear Implants – गंभीर श्रवण हानि के मामलों में।
- Speech and Language Therapy – ताकि बच्चा समय पर बोलना और भाषा समझना सीख सके।
- Early Intervention Programmes – जिसमें विशेषज्ञों की टीम द्वारा बच्चे की समग्र भाषा व संज्ञानात्मक विकास में मदद की जाती है।
Hearing Screening for Infants कैसे रोके (Prevention):
हालांकि सभी प्रकार की श्रवण हानि को नहीं रोका जा सकता, फिर भी कुछ उपाय कारगर हो सकते हैं:
- गर्भावस्था के दौरान संक्रमण से बचाव करें
- प्रसवपूर्व जांच नियमित कराएं
- गर्भावस्था में हानिकारक दवाइयों से बचें
- नवजात की किसी भी मेडिकल स्थिति को गंभीरता से लें
- समय पर हियरिंग स्क्रीनिंग जरूर कराएं
घरेलू उपाय (Home Remedies):
शिशुओं की श्रवण समस्या के लिए घरेलू उपाय प्रभावी नहीं होते, क्योंकि यह चिकित्सकीय स्थिति है। लेकिन आप निम्न बातों का ध्यान रख सकते हैं:
- बच्चे से रोज़ बातचीत करें
- संगीत सुनाएं और प्रतिक्रिया पर नज़र रखें
- चेहरा सामने रखकर बात करें
- टॉयज़ की आवाज़ से खेलाएं और प्रतिक्रिया देखें
नोट: किसी भी घरेलू उपाय से पहले डॉक्टर की सलाह आवश्यक है।
सावधानियाँ (Precautions):
- जन्म के बाद हियरिंग स्क्रीनिंग जरूर कराएं
- अगर बच्चा आवाज़ पर प्रतिक्रिया नहीं देता है तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें
- समय पर टीकाकरण कराएं
- कान में चोट या संक्रमण होने पर डॉक्टर से परामर्श लें
- अपने परिवार के श्रवण स्वास्थ्य इतिहास को डॉक्टर को बताएं
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs):
Q1. शिशु की पहली हियरिंग स्क्रीनिंग कब करानी चाहिए?
उत्तर: जन्म के पहले 1 महीने के भीतर।
Q2. क्या यह टेस्ट सुरक्षित है?
उत्तर: हां, यह पूरी तरह से सुरक्षित और दर्दरहित प्रक्रिया है।
Q3. अगर स्क्रीनिंग में विफलता आए तो क्या करें?
उत्तर: घबराएं नहीं, 3 महीने के भीतर फॉलोअप टेस्ट कराएं।
Q4. क्या सभी अस्पतालों में यह स्क्रीनिंग होती है?
उत्तर: कई अस्पतालों में होती है, लेकिन कुछ जगहों पर अलग से रिक्वेस्ट करना पड़ सकता है।
Q5. क्या सुनने की समस्या का इलाज संभव है?
उत्तर: हां, समय पर इलाज और प्रशिक्षण से बच्चा सामान्य जीवन जी सकता है।
निष्कर्ष (Conclusion):
Hearing Screening for Infants (शिशुओं की श्रवण जांच) एक आवश्यक प्रक्रिया है जो शिशु के भविष्य के संज्ञानात्मक और भाषायी विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। जितनी जल्दी सुनने की समस्या पहचानी जाती है, उतना ही बेहतर परिणाम मिल सकता है। इसलिए हर माता-पिता को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनके नवजात की समय पर श्रवण जांच हो।