Khushveer Choudhary

Flank Hernia– कारण, लक्षण, इलाज और घरेलू उपाय पूरी जानकारी

फ्लैंक हर्निया (Flank Hernia) पेट के साइड हिस्से यानी कमर और पसलियों के बीच की मांसपेशियों में होने वाला हर्निया है। यह आमतौर पर पेट की दीवार में कमजोरी के कारण होता है और अक्सर सर्जरी के बाद, चोट या अत्यधिक दबाव के कारण विकसित हो सकता है। फ्लैंक हर्निया अपेक्षाकृत दुर्लभ होते हैं, लेकिन समय पर इलाज न करने पर यह गंभीर समस्याओं का कारण बन सकते हैं।

फ्लैंक हर्निया क्या होता है? (What is Flank Hernia?)

फ्लैंक हर्निया तब होता है जब पेट की दीवार की मांसपेशियों में कोई कमजोरी या छिद्र बन जाता है और आंत या अन्य ऊतक उस छिद्र के माध्यम से बाहर निकलने लगते हैं। इसे आमतौर पर पेट के किनारों या पसली के नीचे महसूस किया जा सकता है।

फ्लैंक हर्निया कारण (Causes of Flank Hernia)

  1. सर्जरी के बाद कमजोरी (Post-surgical weakness) – पेट की किसी सर्जरी के बाद मांसपेशियों में कमजोरी आना।
  2. अत्यधिक दबाव (Excessive strain) – भारी वजन उठाना या लगातार खिंचाव।
  3. चोट या आघात (Trauma or injury) – पेट या कमर पर चोट लगना।
  4. मांसपेशियों में जन्मजात कमजोरी (Congenital weakness) – जन्मजात कमजोर मांसपेशियां।
  5. भारी वजन और मोटापा (Obesity) – पेट की दीवार पर अतिरिक्त दबाव।
  6. उम्र (Age) – उम्र बढ़ने के साथ मांसपेशियां कमजोर हो सकती हैं।

फ्लैंक हर्निया लक्षण (Symptoms of Flank Hernia)

फ्लैंक हर्निया के लक्षण धीरे-धीरे विकसित हो सकते हैं।

  • पेट या कमर के साइड में सूजन या गाठ (Swelling or bulge on side of abdomen).
  • गाठ को छूने पर दर्द या असहजता (Pain or discomfort when touched).
  • भारी काम करने या खांसने पर दर्द बढ़ना (Pain increases with strain).
  • कभी-कभी उल्टी या कब्ज जैसी समस्याएं (Occasional nausea or constipation if intestines are involved).
  • यदि हर्निया फंस जाए (incarcerated hernia) तो गंभीर दर्द और आपातकालीन स्थिति।

फ्लैंक हर्निया कैसे पहचाने (How to Identify Flank Hernia)

  1. पेट या कमर के साइड में असमान सूजन।
  2. खड़े या जोर लगाने पर सूजन बढ़ना।
  3. दर्द के साथ हल्की लालिमा या गर्मी।
  4. कभी-कभी हर्निया वापस अंदर नहीं जा पाता।

नोट: शुरुआती अवस्था में यह हल्का और असहजता देने वाला हो सकता है, इसलिए समय पर पहचान महत्वपूर्ण है।

फ्लैंक हर्निया इलाज (Treatment of Flank Hernia)

  1. मेडिकल उपचार (Conservative Treatment)

    1. हल्के मामलों में डॉक्टरी सलाह पर बेल्ट या सपोर्टिव बैंड का उपयोग।
    1. दर्द कम करने के लिए पैथोलॉजिस्ट की सलाह से दवाएं।
  2. सर्जिकल उपचार (Surgical Treatment)

    1. फ्लैंक हर्निया में सबसे प्रभावी उपचार सर्जरी है।
    2. सामान्यत: मेश रिपेयर (Mesh Repair Surgery) या ओपन/लैप्रोस्कोपिक सर्जरी की जाती है।
    3. सर्जरी का समय और तरीका हर्निया के आकार और मरीज की हालत पर निर्भर करता है।

फ्लैंक हर्निया कैसे रोके (Prevention of Flank Hernia)

  • भारी वजन उठाने से बचें।
  • पेट और कमर की मांसपेशियों को मजबूत करने के लिए नियमित व्यायाम।
  • मोटापा नियंत्रित रखें।
  • सर्जरी के बाद डॉक्टर द्वारा बताए गए सावधानीपूर्वक निर्देशों का पालन।

घरेलू उपाय (Home Remedies for Flank Hernia)

ध्यान दें: घरेलू उपाय केवल असहजता कम करने और हर्निया को बढ़ने से रोकने के लिए हैं, हर्निया का स्थायी इलाज नहीं।

  1. सपोर्टिव बेल्ट या पेट का बैंड उपयोग करना।
  2. हल्का व्यायाम जैसे पैदल चलना।
  3. कब्ज से बचने के लिए फाइबर युक्त आहार।
  4. भारी वजन उठाने से बचें।

सावधानियाँ (Precautions)

  • अगर हर्निया तेज दर्द, उल्टी या लालिमा के साथ बढ़े तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
  • खुद से हर्निया को दबाने का प्रयास न करें।
  • सर्जरी के बाद दिए गए निर्देशों का पालन करना।
  • नियमित जांच कराना।

FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले सवाल)

Q1: क्या फ्लैंक हर्निया सामान्य हर्निया से अलग है?
A1: हाँ, फ्लैंक हर्निया पेट के साइड (कमर और पसलियों के बीच) में होता है, जबकि सामान्य हर्निया आमतौर पर नाभि या ग्रोइन क्षेत्र में।

Q2: क्या फ्लैंक हर्निया का इलाज दवा से संभव है?
A2: दवा केवल दर्द और असहजता कम कर सकती है; स्थायी इलाज सर्जरी ही है।

Q3: क्या फ्लैंक हर्निया से वजन बढ़ने का खतरा है?
A3: फ्लैंक हर्निया खुद वजन नहीं बढ़ाता, लेकिन मोटापा इसे और बढ़ा सकता है।

Q4: क्या फ्लैंक हर्निया बच्चों में होता है?
A4: बच्चों में यह कम होता है, लेकिन जन्मजात कमजोरी के कारण हो सकता है।

निष्कर्ष (Conclusion)

फ्लैंक हर्निया एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या हो सकती है यदि समय पर पहचान और इलाज न किया जाए। इसके लक्षणों की पहचान करना और डॉक्टर से उचित सर्जरी करवाना सबसे प्रभावी तरीका है। साथ ही जीवनशैली में बदलाव और सावधानियों के साथ इसे नियंत्रित किया जा सकता है।



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