Khushveer Choudhary

Hepatic Infarction कारण, लक्षण, इलाज, रोकथाम और सावधानियाँ

हेपेटिक इन्फार्क्शन (Hepatic Infarction) एक दुर्लभ लेकिन गंभीर यकृत (Liver) रोग है, जिसमें यकृत ऊतकों (Liver Tissues) की रक्त आपूर्ति बाधित हो जाती है।

इससे यकृत कोशिकाएँ (Liver Cells) मरने लगती हैं और लिवर की कार्यक्षमता प्रभावित होती है।
यह स्थिति आमतौर पर रक्त प्रवाह रुकने (Blood Flow Obstruction), थ्रॉम्बोसिस (Thrombosis) या एंबोलिज़्म (Embolism) के कारण होती है।

अगर इसका समय पर इलाज न किया जाए, तो यह स्थिति लिवर फेल्योर (Liver Failure) या गंभीर संक्रमण में बदल सकती है।

हेपेटिक इन्फार्क्शन क्या होता है  (What is Hepatic Infarction?)

हेपेटिक इन्फार्क्शन का अर्थ है –
लिवर के किसी भाग में रक्त का प्रवाह रुक जाना, जिससे वहां के ऊतक (Tissues) ऑक्सीजन की कमी के कारण नष्ट (Necrosis) हो जाते हैं।

यह समस्या आमतौर पर तब होती है जब हेपेटिक आर्टरी (Hepatic Artery) या पोर्टल वेन (Portal Vein) में रुकावट आ जाती है।
कभी-कभी यह लिवर सर्जरी, ट्रांसप्लांट या गंभीर संक्रमण के बाद भी विकसित हो सकता है।

हेपेटिक इन्फार्क्शन कारण (Causes of Hepatic Infarction)

  1. रक्त प्रवाह में रुकावट (Vascular Obstruction):
    हेपेटिक आर्टरी या पोर्टल वेन में रुकावट होने से रक्त नहीं पहुंच पाता।

  2. थ्रॉम्बोसिस (Thrombosis):
    रक्त में थक्का (Clot) बनने से रक्त प्रवाह बाधित होता है।

  3. एंबोलिज़्म (Embolism):
    किसी रक्त थक्के या पदार्थ के लिवर की रक्त वाहिकाओं में फंस जाने से रक्त की आपूर्ति रुक जाती है।

  4. ट्रॉमा या सर्जरी (Trauma or Surgery):
    लिवर की चोट या सर्जरी के दौरान रक्त वाहिकाओं को क्षति होने से।

  5. लिवर ट्रांसप्लांट (Liver Transplant Complication):
    नई रक्त वाहिकाओं में रुकावट या गलत जुड़ाव।

  6. संक्रमण या सेप्सिस (Infection/Sepsis):
    गंभीर संक्रमण से रक्त प्रवाह कम हो सकता है।

  7. शॉक या लो ब्लड प्रेशर (Shock/Low Blood Pressure):
    लिवर को पर्याप्त ऑक्सीजन न मिलने के कारण भी ऊतक मर सकते हैं।

हेपेटिक इन्फार्क्शन लक्षण (Symptoms of Hepatic Infarction)

  • ऊपरी दाहिने पेट में तीव्र दर्द (Severe Pain in Right Upper Abdomen)
  • मतली और उल्टी (Nausea and Vomiting)
  • बुखार (Fever)
  • थकान और कमजोरी (Fatigue and Weakness)
  • पीलिया (Jaundice) – त्वचा और आंखें पीली होना
  • भूख में कमी (Loss of Appetite)
  • लिवर का आकार बढ़ना (Hepatomegaly)
  • पेट में सूजन (Abdominal Swelling)
  • रक्तचाप गिरना (Low Blood Pressure)

हेपेटिक इन्फार्क्शन कैसे पहचाने (Diagnosis of Hepatic Infarction)

  1. रक्त जांच (Blood Tests):

    1. SGPT, SGOT, और Bilirubin स्तर बढ़े हुए पाए जाते हैं।
    1. WBC काउंट बढ़ सकता है।
  2. अल्ट्रासाउंड (Ultrasound):
    लिवर के आकार और रक्त प्रवाह में कमी का पता चलता है।

  3. CT स्कैन या MRI (CT Scan/MRI):
    लिवर में ऑक्सीजन की कमी वाले क्षेत्र (Ischemic Area) दिखते हैं।

  4. एंजियोग्राफी (Hepatic Angiography):
    रक्त वाहिकाओं में रुकावट या थ्रॉम्बस का पता लगाने के लिए।

  5. बायोप्सी (Liver Biopsy):
    ऊतकों के मरने (Necrosis) की पुष्टि के लिए।

हेपेटिक इन्फार्क्शन इलाज (Treatment of Hepatic Infarction)

हेपेटिक इन्फार्क्शन का इलाज कारण पर निर्भर करता है।
मुख्य उद्देश्य लिवर में फिर से रक्त प्रवाह बहाल करना और संक्रमण से बचाव करना होता है।

  1. एंटीकोआगुलेंट दवाएं (Anticoagulant Therapy):
    रक्त के थक्के को रोकने और रक्त प्रवाह बहाल करने के लिए।

  2. एंटीबायोटिक दवाएं (Antibiotics):
    संक्रमण से बचाव या इलाज के लिए।

  3. IV फ्लूड और ऑक्सीजन सपोर्ट:
    लिवर को पर्याप्त ऑक्सीजन और रक्त प्रवाह बनाए रखने के लिए।

  4. सर्जिकल उपचार (Surgical Treatment):

    1. रक्त वाहिकाओं की मरम्मत
    1. थक्का हटाना
    1. गंभीर मामलों में लिवर ट्रांसप्लांट
  5. दर्द नियंत्रण (Pain Management):
    एनाल्जेसिक दवाओं से दर्द कम किया जाता है।

  6. लिवर फंक्शन मॉनिटरिंग:
    लिवर एंजाइम और बिलीरुबिन स्तर की नियमित निगरानी।

घरेलू उपाय (Home Remedies for Hepatic Health)

ध्यान दें: घरेलू उपाय केवल सहायक भूमिका में हैं, हेपेटिक इन्फार्क्शन का उपचार हमेशा चिकित्सक की देखरेख में ही करें।

  • हल्का और पौष्टिक भोजन करें: तैलीय और मसालेदार भोजन से बचें।
  • पानी अधिक पिएं: शरीर से विषैले पदार्थ निकालने में मदद मिलती है।
  • धूम्रपान और शराब से दूर रहें।
  • फलों और हरी सब्जियों का सेवन बढ़ाएं।
  • नियमित व्यायाम और योग करें।

हेपेटिक इन्फार्क्शन कैसे रोके (Prevention of Hepatic Infarction)

  • ब्लड क्लॉट्स (Thrombosis) से बचें: यदि ब्लड क्लॉटिंग की समस्या हो तो नियमित दवा लें।
  • संक्रमणों का समय पर इलाज करें।
  • शुगर और ब्लड प्रेशर नियंत्रित रखें।
  • सर्जरी या ट्रांसप्लांट के बाद नियमित जांच कराते रहें।
  • लिवर को स्वस्थ रखने वाली डाइट अपनाएं।

सावधानियाँ (Precautions)

  • किसी भी प्रकार की लिवर से संबंधित दवा डॉक्टर की सलाह के बिना न लें।
  • शराब, धूम्रपान या नशे से परहेज करें।
  • ब्लड प्रेशर और डायबिटीज़ को नियंत्रित रखें।
  • किसी भी लिवर दर्द या पीलिया के लक्षण को नज़रअंदाज़ न करें।

FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)

Q1. क्या हेपेटिक इन्फार्क्शन घातक होता है?
अगर समय पर इलाज न किया जाए, तो यह लिवर फेल्योर या सेप्सिस में बदल सकता है, जो जानलेवा हो सकता है।

Q2. क्या यह संक्रमण से फैलता है?
नहीं, यह संक्रामक रोग नहीं है।

Q3. क्या यह पूरी तरह ठीक हो सकता है?
हाँ, अगर समय पर निदान और इलाज किया जाए, तो रोगी पूर्ण रूप से स्वस्थ हो सकता है।

Q4. क्या यह बार-बार हो सकता है?
यदि मूल कारण (जैसे थ्रॉम्बोसिस या ब्लड डिसऑर्डर) ठीक न हो तो दोबारा होने की संभावना रहती है।

निष्कर्ष (Conclusion)

हेपेटिक इन्फार्क्शन (Hepatic Infarction) एक गंभीर लेकिन दुर्लभ लिवर रोग है, जिसमें रक्त प्रवाह की कमी से लिवर ऊतक मरने लगते हैं।
इस स्थिति का समय पर निदान और इलाज बेहद आवश्यक है।
एंटीकोआगुलेंट दवाएँ, सर्जिकल उपचार और लिवर फंक्शन मॉनिटरिंग के माध्यम से इसे नियंत्रित किया जा सकता है।
स्वस्थ जीवनशैली, संतुलित आहार और नियमित जांच से इस रोग से बचाव संभव है।


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