Khushveer Choudhary

Kidney Atrophy कारण, लक्षण, इलाज और सावधानियाँ

किडनी एट्रोफी (Kidney Atrophy) का अर्थ है — किडनी का सिकुड़ना या आकार में छोटा होना

यह स्थिति तब होती है जब किडनी की कोशिकाएँ (Cells) या टिश्यू (Tissues) नष्ट हो जाते हैं और उनकी जगह पर स्कार टिश्यू (Scar Tissue) बन जाता है।
किडनी शरीर से अपशिष्ट पदार्थ और अतिरिक्त पानी को बाहर निकालने का कार्य करती है, लेकिन जब वह सिकुड़ जाती है, तो उसकी कार्यक्षमता कम या समाप्त हो जाती है।

किडनी एट्रोफी एक या दोनों किडनियों में हो सकती है।
अगर यह केवल एक किडनी में हो, तो दूसरी किडनी उसका काम संभाल सकती है, लेकिन अगर दोनों प्रभावित हों तो स्थिति गंभीर मानी जाती है।

किडनी एट्रोफी क्या होता है ? (What is Kidney Atrophy?)

किडनी एट्रोफी का मतलब है —
किडनी के ऊतकों (Kidney Tissues) का नुकसान होना और किडनी का धीरे-धीरे छोटा और कमजोर हो जाना।
यह अक्सर रक्त प्रवाह की कमी (Poor Blood Flow), लंबे समय से संक्रमण (Chronic Infection), या मूत्र मार्ग में रुकावट (Urinary Blockage) के कारण होता है।
समय पर इलाज न होने पर यह किडनी फेलियर (Kidney Failure) तक पहुंच सकता है।

किडनी एट्रोफी के प्रकार (Types of Kidney Atrophy)

  1. एकतरफा एट्रोफी (Unilateral Atrophy):
    केवल एक किडनी सिकुड़ जाती है। दूसरी किडनी सामान्य रूप से काम करती है।

  2. द्विपक्षीय एट्रोफी (Bilateral Atrophy):
    दोनों किडनियाँ सिकुड़ जाती हैं। यह स्थिति अधिक गंभीर होती है और क्रॉनिक किडनी डिजीज (Chronic Kidney Disease - CKD) का कारण बन सकती है।

किडनी एट्रोफी के कारण (Causes of Kidney Atrophy)

किडनी के सिकुड़ने के कई संभावित कारण हो सकते हैं:

  1. क्रॉनिक किडनी डिजीज (Chronic Kidney Disease - CKD)
  2. रक्त प्रवाह की कमी (Reduced Blood Supply to Kidneys)
    जैसे - रीनल आर्टरी स्टेनोसिस (Renal Artery Narrowing)
  3. लंबे समय से संक्रमण (Chronic Pyelonephritis)
  4. मूत्र मार्ग में रुकावट (Urinary Tract Obstruction)
    जैसे - किडनी स्टोन, प्रोस्टेट बढ़ना, या ट्यूमर
  5. हाई ब्लड प्रेशर (High Blood Pressure)
  6. डायबिटीज (Diabetes Mellitus)
  7. ऑटोइम्यून बीमारियाँ (Autoimmune Diseases)
  8. दवाओं या विषैले पदार्थों का प्रभाव (Drug or Toxin Exposure)

किडनी एट्रोफी लक्षण (Symptoms of Kidney Atrophy)

शुरुआती अवस्था में कोई लक्षण नहीं होते, लेकिन जैसे-जैसे किडनी सिकुड़ती है, शरीर में कई बदलाव दिखते हैं:

  1. कमर या साइड में दर्द (Pain in the Back or Flank)
  2. मूत्र में बदलाव (Changes in Urine Output) – बहुत कम या ज्यादा मूत्र
  3. मूत्र में झाग या खून (Foamy or Bloody Urine)
  4. सूजन (Swelling) – खासकर पैरों, टखनों या आंखों के नीचे
  5. थकान और कमजोरी (Fatigue and Weakness)
  6. भूख में कमी (Loss of Appetite)
  7. मतली या उल्टी (Nausea or Vomiting)
  8. हाई ब्लड प्रेशर (High Blood Pressure)

किडनी एट्रोफी कैसे पहचाने (Diagnosis of Kidney Atrophy)

  1. अल्ट्रासाउंड (Ultrasound):
    किडनी का आकार और बनावट पता करने के लिए सबसे सरल जांच।

  2. सीटी स्कैन (CT Scan) या एमआरआई (MRI):
    किडनी में ब्लॉकेज या संरचनात्मक बदलाव को दिखाता है।

  3. ब्लड टेस्ट (Blood Tests):

    1. Creatinine Level और Blood Urea Nitrogen (BUN) से किडनी की कार्यक्षमता मापी जाती है।
  4. मूत्र जांच (Urine Test):
    प्रोटीन, खून या संक्रमण की उपस्थिति बताती है।

  5. रीनल बायोप्सी (Renal Biopsy):
    टिश्यू सैंपल लेकर माइक्रोस्कोप से जांच की जाती है कि नुकसान किस वजह से हुआ है।

किडनी एट्रोफी इलाज (Treatment of Kidney Atrophy)

इलाज इस पर निर्भर करता है कि किडनी एट्रोफी का कारण क्या है और नुकसान किस स्तर तक हुआ है।

1. मूल कारण का इलाज (Treating the Underlying Cause):

  • यदि कारण संक्रमण है, तो एंटीबायोटिक्स (Antibiotics) दी जाती हैं।
  • यदि ब्लॉकेज है, तो सर्जरी या स्टेंट के माध्यम से रास्ता खोला जाता है।
  • यदि रक्त प्रवाह में समस्या है, तो रीनल आर्टरी एंजियोप्लास्टी (Renal Artery Angioplasty) की जाती है।

2. ब्लड प्रेशर और शुगर कंट्रोल:

  • हाई ब्लड प्रेशर और डायबिटीज को नियंत्रित रखना बहुत जरूरी है ताकि किडनी और न बिगड़े।

3. डायलिसिस (Dialysis):

  • यदि दोनों किडनियाँ प्रभावित हों, तो शरीर से विषैले पदार्थ निकालने के लिए डायलिसिस किया जाता है।

4. किडनी ट्रांसप्लांट (Kidney Transplant):

  • जब किडनी पूरी तरह काम करना बंद कर दे, तो नई किडनी प्रत्यारोपित की जाती है।

घरेलू उपाय (Home Remedies – सहायक उपाय)

घरेलू उपाय केवल सहायक हैं, इलाज का विकल्प नहीं:

  1. पर्याप्त पानी पिएँ (Drink Sufficient Water) – लेकिन डॉक्टर की सलाह के अनुसार।
  2. नमक कम करें (Reduce Salt Intake)
  3. प्रोटीन का सेवन संतुलित करें (Balanced Protein Diet)
  4. तैलीय और प्रोसेस्ड भोजन से बचें।
  5. ग्रीन वेजिटेबल्स, फ्रूट्स और होल ग्रेन्स शामिल करें।

सावधानियाँ (Precautions)

  1. ब्लड प्रेशर और ब्लड शुगर की नियमित जांच करवाएँ।
  2. संक्रमण या दर्द को अनदेखा न करें।
  3. बिना सलाह के दवाएँ न लें (जैसे पेनकिलर)।
  4. डॉक्टर द्वारा बताई गई डाइट और दवाओं का पालन करें।
  5. नियमित रूप से किडनी फंक्शन टेस्ट करवाते रहें।

रोकथाम (Prevention of Kidney Atrophy)

  1. हाई ब्लड प्रेशर और डायबिटीज को नियंत्रित रखें।
  2. धूम्रपान और शराब से दूर रहें।
  3. पर्याप्त पानी पिएँ और शरीर को हाइड्रेटेड रखें।
  4. किडनी पर असर डालने वाली दवाओं से बचें।
  5. संक्रमण होने पर तुरंत इलाज कराएँ।

FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)

Q1. क्या किडनी एट्रोफी ठीक हो सकती है?
A. यदि प्रारंभिक अवस्था में पता चल जाए और कारण का इलाज हो जाए, तो आगे नुकसान रोका जा सकता है, लेकिन सिकुड़ी किडनी फिर से सामान्य नहीं होती।

Q2. क्या यह खतरनाक है?
A. हाँ, अगर दोनों किडनियाँ प्रभावित हों तो यह जानलेवा हो सकता है।

Q3. क्या किडनी एट्रोफी में दर्द होता है?
A. हाँ, कुछ लोगों को पीठ या साइड में हल्का दर्द महसूस हो सकता है।

Q4. क्या किडनी ट्रांसप्लांट इसका समाधान है?
A. गंभीर मामलों में, जब दोनों किडनियाँ काम करना बंद कर दें, तब ट्रांसप्लांट ही एकमात्र विकल्प होता है।

Q5. क्या यह बच्चों में भी हो सकता है?
A. हाँ, जन्मजात (Congenital) कारणों से भी बच्चों में यह स्थिति हो सकती है।

निष्कर्ष (Conclusion)

किडनी एट्रोफी (Kidney Atrophy) एक गंभीर लेकिन नियंत्रण योग्य स्थिति है।
यदि इसका कारण समय पर पहचान लिया जाए और सही इलाज किया जाए, तो किडनी की कार्यक्षमता को काफी हद तक संरक्षित (Preserve) किया जा सकता है।
स्वस्थ आहार, नियमित जांच, और जीवनशैली में सुधार से इस बीमारी को रोकना और नियंत्रित करना दोनों संभव है।

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