Krabbe Disease, जिसे हिन्दी में क्राबे रोग भी कहा जाता है, एक दुर्लभ आनुवंशिक न्यूरोलॉजिक विकार है जो मुख्य रूप से तंत्रिका कोशिकाओं की सुरक्षात्मक मायलिन (myelin) पर प्रभाव डालता है। यह रोग विशेष रूप से श्वेत मामूली (white matter) को प्रभावित करता है, जिससे मस्तिष्क और मेरुडण्ड (spinal cord) में गंभीर घातक प्रभाव हो सकते हैं।
यह रोग ऑटोसोमल रिसेसिव (autosomal recessive) तरीके से विरासत में मिलता है — अर्थात् रोग विकसित होने के लिए दोनों माता-पिता से दोषपूर्ण जीन की प्रति (gene copy) होना आवश्यक है।
नाम “Krabbe” उस डेनिश न्यूरोलॉजिस्ट Knud Haraldsen Krabbe (1885-1961) के नाम पर रखा गया है, जिन्होंने इस रोग का प्रथम वर्णन किया था।
Krabbe Disease क्या होता है (What is Krabbe Disease)
क्राबे रोग में शरीर में एक विशेष एन्जाइम (enzyme) की कमी हो जाती है — Galactosylceramidase (GALC) नामक एन्जाइम — जो मायलिन की संरचना में शामिल गैलेक्टोसिलसेरैमाइड (galactosylceramide) और ‘साइकोसिन’ (psychosine) नामक पदार्थों को टूटने में सक्षम होना चाहिए। लेकिन इस एन्जाइम की कमी के कारण ये पदार्थ जमा होने लगते हैं, जिससे मायलिन की सुरक्षात्मक परत टूटने लगती है और तंत्रिका तंत्र (nervous system) में क्षति आती है।
संक्षिप्त रूप से:
- मायलिन की परत क्षतिग्रस्त हो जाती है (demyelination) → तंत्रिका संकेतों का प्रसारण बाधित होता है।
- इससे मस्तिष्क व मेरु-तंत्रिका नेटवर्क में प्रभाव पड़ता है, तथा न्यूरोलॉजिक लक्षण (neurologic symptoms) उत्पन्न होते हैं।
इस प्रकार, क्राबे रोग एक ल्यूकोडिस्ट्रोफी (leukodystrophy) एवं लायसोसोमल भंडारण विकार (lysosomal storage disorder) का रूप लेता है।
Krabbe Disease कारण (Causes)
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जीन दोष (Genetic Mutation)
क्राबे रोग के पीछे मुख्य कारण GALC जीन में उत्पन्न हुए दोष (mutations) हैं, जो इस एन्जाइम को उत्पन्न करने में असमर्थ होता।
यह जीन 14वें क्रोमोसोम पर स्थित है (Chromosome 14q31)। -
विरासत (Inheritance)
यह ऑटोसोमल रिसेसिव प्रकार का रोग है — यदि माता-पिता दोनों में एक–एक दोषयुक्त जीन हो, तो ребёнок को इस रोग के विकसित होने की संभावना 25% होती है। -
एन्जाइम कमी + मायलिन क्षति
GALC एन्जाइम की कमी से गैलेक्टोसिलसेरैमाइड व साइकोसिन जैसे पदार्थ तंत्रिका कोशिकाओं में जमा हो जाते हैं, जो मायलिन को नष्ट करते हैं और न्यूरोलॉजिक प्रणाली में विकार उत्पन्न करते हैं। -
अन्य कारक
हालांकि मुख्य कारण जीन दोष है, लेकिन कुछ मामलों में ‘सैपोसिन A’ (saposin A) की कमी भी देखी गई है।
Krabbe Disease लक्षण (Symptoms)
क्राबे रोग के लक्षण इस बात पर निर्भर करते हैं कि यह रोग कब शुरू हुआ है — बच्चों में जल्दी (infantile) रूप में या बाद में (juvenile/adult onset) में।
शिशु-आधारित (Infantile onset) के लक्षण:
- जन्म के प्रथम 4-6 महीनों तक सामान्य विकास के बाद अचानक लक्षण उत्पन्न होना।
- चिड़चिड़ापन (irritability), आवाज-रोशनी-स्पर्श के प्रति संवेदनशीलता (hypersensitivity)।
- चक्कर-उल्टी (vomiting), फीडिंग में कठिनाई (feeding difficulties) एवं बढ़ते बुखार (unexplained fevers)।
- परधान मायलिन क्षति के कारण मांसपेशियों में कठोरता (spasticity), टाँगों का आगे-पीछे झुकाव (opisthotonic posture)।
- दृष्टि (vision) व श्रवण (hearing) संबंधी समस्या-जैसे आँख की उपस्थिति (optic atrophy) व बहिर श्रवण।
- विकास मील के पत्थर का पीछे हटना (regression of milestones)।
- अंततः मांसपेशियों का दल्हापन (muscle weakness), गतिहीनता (decreased mobility), मृत्यु (usually before 2 years)।
बाद-वयस्क (Late onset: juvenile / adult) के लक्षण:
- मांसपेशियों में कमजोरी, नीचे हिस्से में कठोरता।
- चलने-फिरने में कठिनाइयाँ (gait abnormalities), स्वयं की चाल-समूह नियंत्रित करना मुश्किल।
- हाथ-पैरों में झुनझुनी, जलन या सुन्नता (burning paresthesias) अधर्य या हाथ-पाँव में।
- व्यवहार में परिवर्तन, सोचने-समझने में कमी (cognitive decline) या ध्यान-अवधि घट जाना।
- दृष्टि व श्रवण में धीरे-धीरे गिरावट।
Krabbe Disease कैसे पहचाने (How to Recognize)
- यदि एक शिशु 4-6 महीने के बाद अचानक विकास में धीमापन दिखा रहा हो, मांसपेशियों में कठोरता हो रही हो, फीडिंग में परेशानी हो रही हो, तो तत्काल विशेषज्ञ से दिखाएँ।
- चिकित्सकीय परीक्षणों में निम्नलिखित प्रमुख होते हैं:
- रक्त या त्वचा कोशिका नमूने में GALC एन्जाइम गतिविधि की जाँच।
- गुप्त रसायन (PSY = psychosine) का स्तर।
- मस्तिष्क एवं रीढ़-मेरु (MRI) में श्वेत पदार्थ (white matter) की हानि व डेमायलिनेशन दिखना।
- श्रवण व दृष्टि परीक्षण।
- आनुवंशिक (genetic) परीक्षण: यदि परिवार में इतिहास हो।
Krabbe Disease कैसे रोके (Prevention)
इस रोग का पूर्ण रोकथाम संभव नहीं है क्योंकि यह आनुवंशिक है; किन्तु निम्न उपाय सहायक हो सकते हैं:
- परिवार में यदि इस रोग का इतिहास हो, तो गर्भपूर्व जीनिक काउंसलिंग (genetic counselling) करवाना महत्वपूर्ण है।
- दोनों माता-पिता में यदि जीन के वाहक होने का पता चले, तो उनके बाद-वाले किसी बच्चे में रोग होने का जोखिम 25% होता है।
- नवजात शिशु स्क्रीनिंग (newborn screening) द्वारा जन्म के तुरंत बाद ही जाँच करवाना — कुछ स्थानों पर उपलब्ध है।
- यदि एर-परिणाम (“carrier” स्थिति) निकलता है, तो चिकित्सा-परामर्श के माध्यम से आगे की योजना बनाना।
Krabbe Disease इलाज (Treatment)
- अभी तक क्राबे रोग का पूर्ण उपचार (cure) उपलब्ध नहीं है।
- सबसे प्रभावी उपचार है हीमटो-पॉयटिक स्टेम सेल ट्रांसप्लांटेशन (hematopoietic stem cell transplantation – HSCT) — विशेष रूप से जब रोग लक्षण शुरू होने से पहले किया जाए तो बेहतर परिणाम मिल सकते हैं।
- रोग लक्षण के बाद उपचार की स्थिति में सीमित प्रभाव होता है; मुख्यतः समर्थनात्मक (supportive) देखभाल की जाती है:
- मांसपेशियों की स्पास्टिसिटी (spasticity) के लिए मसल रिलैक्सेंट्स।
- दौरे (seizures) के लिए एंटी-कॉन्वलसेंट दवाएँ।
- फीडिंग की समस्या होने पर ट्यूब-फीडिंग।
- फिजिकल थेरैपी एवं ऑक्युपेशनल थेरैपी।
- नवाचारी उपचार (experimental therapies) जैसे जीन थेरैपी (gene therapy) व अन्य स्टेम सेल तकनीकें शोधाधीन हैं।
घरेलू उपाय और देखभाल (Home-Care Measures)
हालाँकि घर पर इस रोग का पूर्ण उपचार संभव नहीं है, पर कुछ चीजें हैं जिन्हें अपनाकर बच्चे की गुणवत्ता-जीवन (quality of life) बेहतर बनाई जा सकती है:
- बच्चे को शांत व कम शोर-प्रद वातावरण देना — क्योंकि स्पर्श, आवाज-रोशनी-प्रतिक्रिया में संवेदनशीलता हो सकती है।
- भोजन में विशेष ध्यान: यदि चबाने-गले में समस्या हो तो छोटे भागों में, मुलायम आहार देना।
- नियमित फिजिकल थेरैपी और स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज करना, मसल रिलैक्सेशन को प्रोत्साहित करना।
- पीलापन, संक्रमण या फीडिंग में समस्या होने पर तुरंत चिकित्सकीय सलाह लेना।
- परिवेश को सुरक्षित बनाना: क्योंकि चलने-फिरने में दिक्कत होने पर गिरने-चोट का जोखिम बढ़ जाता है।
- माता-पिता और देखभाल करने वालों को रोग की जानकारी होना आवश्यक है ताकि वे संकेतों को जल्दी पहचान सकें।
सावधानियाँ (Precautions)
- रोग लक्षण दिखाई देने पर तुरंत न्यूरोलॉजिस्ट या आनुवंशिक सलाहकार से संपर्क करें — जितनी जल्दी निदान होगा, उतना बेहतर परिणाम संभव है।
- सरकार या अस्पताल द्वारा उपलब्ध नवजात स्क्रीनिंग कार्यक्रमों में हिस्सा लें।
- परिवार में इस रोग का इतिहास हो तो भविष्य में गर्भ पूर्व परीक्षण (prenatal testing) की संभावना पर विचार करें।
- किसी भी नयी दवा या थेरैपी शुरू करने से पहले बाल रोगविशेषज्ञ से चर्चा करें।
- संक्रमण से बचाव हेतु नियमित टीकाकरण व स्वच्छता का ध्यान रखें क्योंकि रोगग्रस्त बच्चों में संक्रमण गंभीर रूप ले सकता है।
FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)
Q1. क्राबे रोग कितनी सामान्य है?
A. यह अत्यंत दुर्लभ रोग है — उदाहरण के लिए अमेरिका में अनुमानित एक प्रति लगभग 100,000 जन्मों में यह रोग होता है।
Q2. क्या इस रोग का इलाज संभव है?
A. पूर्ण इलाज अभी नहीं है, लेकिन शुरुआती अवस्था में स्टेम सेल ट्रांसप्लांट द्वारा रोग की प्रगति को कुछ हद तक धीमा किया जा सकता है।
Q3. क्या केवल शिशुओं को होता है?
A. नहीं — अधिकांश मामलों में 6 महीने के पहले शुरुआत होती है (infantile onset) लेकिन बच्चों, किशोरों और वयस्कों में भी देर-से शुरुआत (late onset) के मामले मिल चुके हैं।
Q4. क्या इस रोग को जन्म से पहले रोका जा सकता है?
A. पूरी तरह नहीं, क्योंकि यह जीन-दोष पर आधारित है। लेकिन Carrier परीक्षण व जीनिक काउंसलिंग से जोखिम समझा जा सकता है।
Q5. यदि परिवार में कोई इसका वाहक (carrier) है, तो क्या संकेत मिलते हैं?
A. वाहक व्यक्ति सामान्यतः लक्षण नहीं दिखाता — उन्हें सिर्फ एक दोषयुक्त जीन मिली होती है। रोग तभी विकसित होता है जब दोनों जीन दोषयुक्त हों।
निष्कर्ष
क्राबे रोग (Krabbe Disease) एक दुर्लभ, लेकिन गंभीर आनुवंशिक न्यूरोलॉजिक रोग है जिसमें मायलिन की सुरक्षा टूट जाती है और तंत्रिका तंत्र गंभीर रूप से प्रभावित होता है। चूंकि यह रोग द्रुत गति से प्रगति कर सकता है, इसलिए जल्दी निदान और प्रारंभिक उपचार अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। हालांकि पूर्ण इलाज अभी उपलब्ध नहीं है, लेकिन स्टेम सेल ट्रांसप्लांट व समर्थनात्मक देखभाल द्वारा बच्चों की जीवन गुणवत्ता बढ़ाई जा सकती है। यदि आपके या आपके परिवार के किसी सदस्य को इस तरह के लक्षण दिखें — जैसे विकास में रुकावट, मांसपेशियों में कठोरता, फीडिंग में समस्याएँ — तो तुरंत विशेषज्ञ से परामर्श लेना चाहिए। आनुवंशिक सलाहकार के माध्यम से आगे की योजना बनाना भी उपयोगी है।
स्वास्थ्यवर्धक जीवनशैली, पर्यवेक्षण व समय-समय पर चिकित्सकीय देखभाल के साथ, इस चुनौतीपूर्ण रोग के बावजूद बेहतर देखभाल संभव है।
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