Khushveer Choudhary

Lambert–Eaton Myasthenic Syndrome– कारण, लक्षण, निदान और इलाज

लेम्बर्ट–ईटन म्यास्थेनिक सिंड्रोम (Lambert–Eaton Myasthenic Syndrome), जिसे संक्षेप में LEMS कहा जाता है, एक दुर्लभ ऑटोइम्यून न्यूरोमस्कुलर विकार (Autoimmune Neuromuscular Disorder) है।

इसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली गलती से नसों और मांसपेशियों के बीच के संचार (Nerve-Muscle Communication) को बाधित कर देती है।
इस कारण मांसपेशियों में कमजोरी, थकान, और चलने-फिरने में कठिनाई होती है।

यह रोग अक्सर फेफड़ों के छोटे कोशिकाओं वाले कैंसर (Small Cell Lung Cancer) से जुड़ा होता है, लेकिन यह कैंसर के बिना भी हो सकता है।

लेम्बर्ट–ईटन म्यास्थेनिक सिंड्रोम क्या है? (What is Lambert–Eaton Myasthenic Syndrome?)

यह एक ऑटोइम्यून रोग (Autoimmune Disease) है, जिसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली न्यूरॉन (Nerve Cell) के उस हिस्से पर हमला करती है जो एसिटाइलकोलाइन (Acetylcholine) नामक न्यूरोट्रांसमीटर छोड़ता है।

एसिटाइलकोलाइन (Acetylcholine) मांसपेशियों को सक्रिय करने के लिए जरूरी होता है।
जब यह पर्याप्त मात्रा में रिलीज नहीं हो पाता, तो मांसपेशियों तक संदेश सही तरीके से नहीं पहुँचता — जिससे कमजोरी, थकान और सुस्ती महसूस होती है।

लेम्बर्ट–ईटन म्यास्थेनिक सिंड्रोम के कारण (Causes of Lambert–Eaton Myasthenic Syndrome)

  1. ऑटोइम्यून प्रतिक्रिया (Autoimmune Reaction):
    – शरीर गलती से वोल्टेज-गेटेड कैल्शियम चैनल (VGCC) पर हमला करता है, जिससे नसें मांसपेशियों को सक्रिय नहीं कर पातीं।

  2. कैंसर से जुड़ा कारण (Paraneoplastic Cause):
    – लगभग 60% मरीजों में यह स्मॉल सेल लंग कैंसर (Small Cell Lung Cancer) से जुड़ा होता है।

  3. कैंसर-रहित प्रकार (Non-Paraneoplastic Type):
    – यह प्रकार कैंसर के बिना भी हो सकता है और अक्सर ऑटोइम्यून विकारों से संबंधित होता है जैसे —

    1. थायरॉइड डिसऑर्डर
    2. रुमेटॉयड आर्थराइटिस
    3. डायबिटीज मेलिटस
  4. आनुवंशिक कारक (Genetic Factors):
    – कुछ मामलों में परिवारिक इतिहास में ऑटोइम्यून बीमारियाँ मौजूद होती हैं।

लेम्बर्ट–ईटन म्यास्थेनिक सिंड्रोम के लक्षण (Symptoms of Lambert–Eaton Myasthenic Syndrome)

  1. मांसपेशियों में कमजोरी (Muscle Weakness) – विशेषकर पैरों और कूल्हों में
  2. थकान और सुस्ती (Fatigue and Tiredness)
  3. चलने या सीढ़ियाँ चढ़ने में कठिनाई (Difficulty Walking or Climbing Stairs)
  4. मुँह और आँखों में सूखापन (Dry Mouth and Eyes)
  5. रक्तचाप कम होना (Low Blood Pressure)
  6. कब्ज (Constipation)
  7. यौन समस्याएँ (Erectile dysfunction or Sexual dysfunction)
  8. कभी-कभी साँस लेने में कठिनाई (Breathing difficulty)
  9. रिफ्लेक्स का कम होना (Reduced Reflexes)

लक्षण धीरे-धीरे शुरू होते हैं और समय के साथ बढ़ सकते हैं।

लेम्बर्ट–ईटन म्यास्थेनिक सिंड्रोम का निदान (Diagnosis of Lambert–Eaton Myasthenic Syndrome)

1. क्लिनिकल मूल्यांकन (Clinical Evaluation):

– डॉक्टर शारीरिक जांच करके मांसपेशियों की शक्ति और रिफ्लेक्स की जाँच करते हैं।

2. इलेक्ट्रोमायोग्राफी (EMG Test):

– इस टेस्ट से नसों और मांसपेशियों के बीच की संचार प्रक्रिया मापी जाती है।

3. ब्लड टेस्ट (Blood Test):

VGCC एंटीबॉडी टेस्ट (Voltage-Gated Calcium Channel Antibody Test) से ऑटोइम्यून गतिविधि की पुष्टि होती है।

4. CT या MRI स्कैन:

फेफड़ों के कैंसर या अन्य कारणों की जांच के लिए।

5. पल्मोनरी फंक्शन टेस्ट (Lung Function Test):

– अगर लक्षण साँस लेने में असर डाल रहे हों।

लेम्बर्ट–ईटन म्यास्थेनिक सिंड्रोम का इलाज (Treatment of Lambert–Eaton Myasthenic Syndrome)

1. मूल कारण का इलाज (Treating the Underlying Cause):

  • अगर यह कैंसर से जुड़ा है, तो पहले फेफड़ों के कैंसर का इलाज (Chemotherapy, Radiation) किया जाता है।
  • कैंसर का इलाज होने पर मांसपेशियों की कमजोरी में भी सुधार होता है।

2. दवाइयाँ (Medications):

  • 3,4-Diaminopyridine (Amifampridine): यह नसों से एसिटाइलकोलाइन रिलीज को बढ़ाती है।
  • Pyridostigmine: मांसपेशियों पर एसिटाइलकोलाइन का असर बढ़ाती है।
  • Corticosteroids या Immunosuppressants (Prednisolone, Azathioprine): ऑटोइम्यून प्रतिक्रिया को कम करते हैं।

3. इम्यूनोथेरेपी (Immunotherapy):

  • IVIG (Intravenous Immunoglobulin) या Plasmapheresis द्वारा एंटीबॉडी हटाई जाती हैं।

4. फिजिकल थेरेपी (Physical Therapy):

  • मांसपेशियों की शक्ति और चलने की क्षमता बनाए रखने में मदद करती है।

जीवनशैली और सावधानियाँ (Lifestyle and Precautions)

  1. संतुलित और पौष्टिक आहार लें।
  2. धूम्रपान और शराब से परहेज करें, विशेषकर यदि कैंसर का खतरा हो।
  3. नियमित व्यायाम करें लेकिन अत्यधिक थकान से बचें।
  4. संक्रमण से बचाव करें क्योंकि यह लक्षणों को बढ़ा सकता है।
  5. डॉक्टर द्वारा बताई गई दवाइयाँ नियमित रूप से लें।
  6. मानसिक तनाव कम करें और पर्याप्त नींद लें।

घरेलू उपाय (Home Remedies and Supportive Tips)

  1. प्रोटीन युक्त भोजन: मांसपेशियों की मजबूती के लिए दालें, अंडे, दूध, मछली।
  2. विटामिन B12 और D: तंत्रिका स्वास्थ्य के लिए आवश्यक हैं।
  3. हाइड्रेशन बनाए रखें: पानी अधिक पिएं, विशेषकर मुँह सूखने की समस्या में।
  4. हल्का व्यायाम: योग और स्ट्रेचिंग से मांसपेशियाँ सक्रिय रहती हैं।

कैसे पहचाने (How to Identify Lambert–Eaton Myasthenic Syndrome)

  • अगर आपको धीरे-धीरे बढ़ती मांसपेशियों की कमजोरी है जो आराम करने पर थोड़ी बेहतर होती है
  • यदि साथ में मुँह सूखना, थकान और रिफ्लेक्स की कमी महसूस होती है।
  • या आप स्मॉल सेल लंग कैंसर के मरीज हैं और नई कमजोरी महसूस कर रहे हैं।

ऐसे में न्यूरोलॉजिस्ट से तुरंत संपर्क करें।

FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)

Q1. क्या लेम्बर्ट–ईटन म्यास्थेनिक सिंड्रोम मांसपेशियों को स्थायी नुकसान पहुंचाता है?
A: नहीं, यदि समय पर इलाज किया जाए तो मांसपेशियों की शक्ति वापस आ सकती है।

Q2. क्या यह म्यास्थेनिया ग्रेविस (Myasthenia Gravis) जैसा है?
A: दोनों रोग समान दिखते हैं लेकिन LEMS में समस्या नसों के छोर पर होती है, जबकि म्यास्थेनिया ग्रेविस में मांसपेशियों पर।

Q3. क्या इसका इलाज पूरी तरह संभव है?
A: कैंसर से जुड़ी स्थिति में इलाज कठिन हो सकता है, लेकिन दवाओं और थेरेपी से लक्षणों को नियंत्रित किया जा सकता है।

Q4. क्या यह वंशानुगत है?
A: नहीं, यह आमतौर पर आनुवंशिक नहीं होता, बल्कि ऑटोइम्यून प्रतिक्रिया के कारण विकसित होता है।

Q5. क्या फिजिकल एक्टिविटी सुरक्षित है?
A: हाँ, हल्की और नियमित शारीरिक गतिविधि लाभदायक है, लेकिन थकान से बचें।

निष्कर्ष (Conclusion)

लेम्बर्ट–ईटन म्यास्थेनिक सिंड्रोम (Lambert–Eaton Myasthenic Syndrome) एक दुर्लभ लेकिन गंभीर ऑटोइम्यून न्यूरोलॉजिकल रोग है, जिसमें मांसपेशियों में कमजोरी मुख्य लक्षण होता है।
समय पर निदान, कैंसर की स्क्रीनिंग, उचित दवाइयाँ और जीवनशैली सुधार के माध्यम से इसे नियंत्रित किया जा सकता है।
यदि आप या आपके किसी परिचित को लंबे समय से मांसपेशियों में कमजोरी या थकान की समस्या हो रही है, तो न्यूरोलॉजिस्ट से अवश्य संपर्क करें


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