लेबर मिलियरी एन्यूरिज्म (Leber Miliary Aneurysm) एक दुर्लभ रेटिना से जुड़ा नेत्र रोग (Rare Retinal Eye Disorder) है जो आंख की रेटिना (Retina) की रक्त वाहिकाओं (Blood Vessels) को प्रभावित करता है।
इसमें रेटिना की छोटी रक्त वाहिकाओं में सूजन (Swelling) और गांठ जैसी संरचनाएँ (Aneurysms) बन जाती हैं, जिससे रेटिना में रिसाव (Leakage) होता है और दृष्टि धीरे-धीरे प्रभावित होने लगती है।
यह रोग मुख्य रूप से मध्यम आयु वर्ग के पुरुषों में देखा जाता है, लेकिन किसी भी उम्र में हो सकता है।
कभी-कभी इसे Coats' Disease (कोट्स डिज़ीज़) से भी जोड़ा जाता है क्योंकि दोनों स्थितियों में रेटिना में तरल या रक्त का रिसाव होता है।
लेबर मिलियरी एन्यूरिज्म क्या होता है (What is Leber Miliary Aneurysm)
यह रोग रेटिनल रक्त वाहिकाओं के असामान्य फैलाव (Abnormal Dilation of Retinal Capillaries) से संबंधित है।
रेटिना की छोटी रक्त वाहिकाओं में छोटे-छोटे एन्यूरिज्म (गांठ या बुलबुले जैसे उभार) बन जाते हैं, जिससे:
- रक्त या तरल पदार्थ (Fluid) रिसने लगता है,
- रेटिना में सूजन और एक्स्यूडेट्स (Exudates) जमा हो जाते हैं,
- और धीरे-धीरे दृष्टि धुंधली होने लगती है।
अगर इसका समय पर इलाज न किया जाए तो यह रेटिनल डिटैचमेंट (Retinal Detachment) और स्थायी दृष्टि हानि (Permanent Vision Loss) का कारण बन सकता है।
लेबर मिलियरी एन्यूरिज्म कारण (Causes of Leber Miliary Aneurysm)
इस बीमारी का सटीक कारण अभी पूरी तरह ज्ञात नहीं है, लेकिन कुछ संभावित कारण और कारक निम्नलिखित हैं:
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आनुवंशिक कारण (Genetic Factors):
कुछ शोध बताते हैं कि यह रोग विरासत में मिले जीन दोषों (Inherited Genetic Mutations) के कारण हो सकता है। -
रेटिनल वेसल्स की कमजोरी (Weakness of Retinal Vessels):
रेटिना की रक्त वाहिकाओं की दीवारें कमजोर पड़ने लगती हैं जिससे एन्यूरिज्म विकसित होते हैं। -
रक्त वाहिका विकार (Vascular Disorder):
यह एक प्रकार का रेटिनल माइक्रोएंजियोपैथी (Retinal Microangiopathy) है। -
उच्च रक्तचाप या मधुमेह (Hypertension or Diabetes):
ये स्थितियाँ रेटिना की सूक्ष्म रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचा सकती हैं। -
पुरुषों में अधिक प्रचलित (More Common in Males):
कुछ रिपोर्टों के अनुसार यह रोग पुरुषों में महिलाओं की तुलना में अधिक देखा गया है।
लेबर मिलियरी एन्यूरिज्म लक्षण (Symptoms of Leber Miliary Aneurysm)
शुरुआती चरण में लक्षण हल्के हो सकते हैं, लेकिन समय के साथ दृष्टि संबंधी समस्याएँ बढ़ने लगती हैं:
- दृष्टि धुंधली होना (Blurred Vision)
- आंखों के सामने धब्बे या धुंधलापन (Spots or Hazy Vision)
- दृष्टि क्षेत्र में काले धब्बे (Scotomas)
- एक आंख से दृष्टि में कमी (Unilateral Vision Loss)
- रंग पहचानने में कठिनाई (Difficulty in Color Perception)
- रेटिना में सूजन और एक्स्यूडेट्स का जमाव (Retinal Swelling and Exudates)
यदि रोग बढ़ता है तो रेटिना से तरल पदार्थ का रिसाव बढ़ने लगता है, जिससे रेटिनल डिटैचमेंट (Retinal Detachment) हो सकता है।
लेबर मिलियरी एन्यूरिज्म कैसे पहचाने (Diagnosis of Leber Miliary Aneurysm)
इस रोग की पहचान के लिए नेत्र विशेषज्ञ द्वारा कई जांचें की जाती हैं:
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फंडस एग्ज़ामिनेशन (Fundus Examination):
इसमें डॉक्टर विशेष उपकरण से आंख के अंदरूनी हिस्से की जांच करते हैं ताकि रेटिना की स्थिति देखी जा सके। -
फ्लोरेसिन एंजियोग्राफी (Fluorescein Angiography):
रेटिनल रक्त वाहिकाओं में रंगीन डाई डालकर उनकी लीकिंग और एन्यूरिज्म को पहचाना जाता है। -
ऑप्टिकल कोहेरेंस टोमोग्राफी (OCT):
रेटिना की सूजन, तरल जमाव और मोटाई की जांच के लिए। -
विजुअल एक्यूटी टेस्ट (Visual Acuity Test):
दृष्टि की स्पष्टता मापने के लिए। -
ब्लड टेस्ट (Blood Tests):
यदि रोग से जुड़ी अन्य स्थितियाँ जैसे मधुमेह या उच्च रक्तचाप हों तो उनकी जांच की जाती है।
लेबर मिलियरी एन्यूरिज्म इलाज (Treatment of Leber Miliary Aneurysm)
इस बीमारी का उद्देश्य रेटिना में रिसाव को रोकना और दृष्टि को सुरक्षित रखना होता है। उपचार का चयन रोग की गंभीरता पर निर्भर करता है:
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लेज़र फोटोकोएगुलेशन (Laser Photocoagulation):
एन्यूरिज्म या लीकिंग वेसल्स को सील करने के लिए लेज़र का उपयोग किया जाता है। -
इंट्राविट्रियल इंजेक्शन (Intravitreal Injections):
एंटी-VEGF दवाएँ (जैसे बेवसीज़ुमैब) दी जाती हैं जो रक्त वाहिकाओं की असामान्य वृद्धि और लीकिंग को कम करती हैं। -
सर्जरी (Surgical Intervention):
अगर रेटिनल डिटैचमेंट हो चुका है तो सर्जरी द्वारा उसे ठीक किया जा सकता है। -
ब्लड प्रेशर और शुगर नियंत्रण:
यदि रोगी को मधुमेह या हाइपरटेंशन है तो उसका उचित नियंत्रण जरूरी है। -
नियमित नेत्र जांच (Regular Eye Checkups):
रोग की प्रगति को ट्रैक करने के लिए।
घरेलू उपाय (Home Remedies for Eye Health)
हालांकि यह रोग केवल चिकित्सा उपचार से ही नियंत्रित हो सकता है, लेकिन कुछ घरेलू उपाय आंखों के स्वास्थ्य को समर्थन दे सकते हैं:
- विटामिन A, C और E से भरपूर आहार लें।
- ओमेगा-3 फैटी एसिड (जैसे फ्लैक्ससीड, मछली तेल) का सेवन करें।
- धूम्रपान और शराब से बचें।
- आंखों पर अधिक तनाव न डालें — जैसे लंबे समय तक मोबाइल या कंप्यूटर का उपयोग।
- हर 6 महीने में आंखों की जांच कराएं।
लेबर मिलियरी एन्यूरिज्म कैसे रोके (Prevention of Leber Miliary Aneurysm)
इस रोग को पूरी तरह से रोकना संभव नहीं है, लेकिन कुछ आदतें इसकी संभावना को कम कर सकती हैं:
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नियमित नेत्र जांच (Regular Eye Screening):
शुरुआती लक्षणों की पहचान के लिए। -
रक्तचाप और शुगर नियंत्रण (Control of Blood Pressure and Sugar):
क्योंकि ये दोनों स्थितियाँ रेटिना की सेहत को प्रभावित करती हैं। -
संतुलित आहार और व्यायाम:
आंखों में रक्त संचार को सही बनाए रखने में मददगार। -
धूम्रपान और तंबाकू से दूरी:
ये रेटिनल वेसल्स को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
सावधानियाँ (Precautions)
- दृष्टि में किसी भी प्रकार के परिवर्तन को अनदेखा न करें।
- बिना डॉक्टर की सलाह के कोई दवा या आई ड्रॉप्स न लें।
- अगर दृष्टि अचानक धुंधली हो जाए तो तुरंत नेत्र विशेषज्ञ से संपर्क करें।
- नियमित रूप से आंखों की जांच कराते रहें।
FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)
Q1. क्या लेबर मिलियरी एन्यूरिज्म से स्थायी अंधापन हो सकता है?
यदि समय पर इलाज न किया जाए तो हाँ, यह रेटिनल डिटैचमेंट और स्थायी दृष्टि हानि का कारण बन सकता है।
Q2. क्या यह रोग कोट्स डिज़ीज़ जैसा है?
हाँ, दोनों में समानताएँ हैं, लेकिन लेबर मिलियरी एन्यूरिज्म में एन्यूरिज्म छोटे और सीमित होते हैं, जबकि कोट्स डिज़ीज़ में रिसाव अधिक व्यापक होता है।
Q3. क्या यह रोग दोनों आंखों में हो सकता है?
अधिकतर मामलों में यह एक आंख (Unilateral) में होता है, लेकिन कभी-कभी दोनों में भी विकसित हो सकता है।
Q4. क्या इसका इलाज पूरी तरह संभव है?
यदि शुरुआती अवस्था में पहचान हो जाए तो इलाज से दृष्टि को काफी हद तक स्थिर (Stabilized) किया जा सकता है।
निष्कर्ष (Conclusion)
लेबर मिलियरी एन्यूरिज्म (Leber Miliary Aneurysm) एक दुर्लभ लेकिन गंभीर रेटिना संबंधी रोग है जो धीरे-धीरे दृष्टि को प्रभावित करता है।
इसका शीघ्र निदान और लेज़र या इंजेक्शन आधारित इलाज रोग की प्रगति को रोकने में सहायक होता है।
नियमित नेत्र जांच, संतुलित आहार और स्वस्थ जीवनशैली अपनाकर इस रोग से होने वाली दृष्टि हानि को काफी हद तक रोका जा सकता है।