Khushveer Choudhary

Leiner’s Disease कारण, लक्षण, निदान और उपचार

Leiner’s Disease (लिनर रोग) शिशुओं (Infants) में होने वाला एक दुर्लभ और गंभीर त्वचा तथा प्रतिरक्षा प्रणाली से जुड़ा विकार (Immune System Disorder) है।

इसमें बच्चे की त्वचा पर लालिमा, पपड़ी (Scaling), दस्त, संक्रमण और पोषण की कमी जैसे लक्षण दिखाई देते हैं।
यह बीमारी प्रायः जीवन के पहले 2–3 महीनों में दिखाई देती है और अगर समय पर उपचार न किया जाए तो जीवन-घातक संक्रमण का कारण बन सकती है।

Leiner’s Disease क्या होता है  (What is Leiner’s Disease)

Leiner’s Disease एक प्रकार का एक्सफोलिएटिव डर्माटाइटिस (Exfoliative Dermatitis) है, जो आमतौर पर शिशुओं में पाया जाता है।
यह रोग सेबोरहाइक डर्माटाइटिस (Seborrheic Dermatitis) का अत्यधिक गंभीर रूप होता है।
मुख्य कारण कॉम्प्लिमेंट सिस्टम (Complement System) में असामान्यता है — विशेषकर Complement Component C5 की कमी।

Leiner’s Disease कारण (Causes of Leiner’s Disease)

  1. कॉम्प्लिमेंट की कमी (Complement Deficiency) – विशेष रूप से C5 या अन्य इम्यून प्रोटीन की कमी।
  2. कमज़ोर प्रतिरक्षा प्रणाली (Immune Deficiency) – नवजात में इम्यून सिस्टम पूरी तरह विकसित नहीं होता।
  3. सेबोरहाइक डर्माटाइटिस का गंभीर रूप (Severe Seborrheic Dermatitis)
  4. Malnutrition (कुपोषण) – आवश्यक पोषक तत्वों की कमी से संक्रमण बढ़ता है।
  5. Recurrent Infections (बार-बार संक्रमण) – जैसे Candida या Staphylococcus से।
  6. आनुवंशिक कारण (Genetic Factors) – कुछ मामलों में वंशानुगत प्रवृत्ति होती है।

Leiner’s Disease लक्षण (Symptoms of Leiner’s Disease)

  • सिर, चेहरा और धड़ पर लालिमा और छिलकीदार त्वचा (Red, Scaly Skin on Scalp, Face, and Trunk)
  • त्वचा का अत्यधिक सूखापन और छिलना (Severe Peeling)
  • दस्त (Chronic Diarrhea)
  • वजन में कमी (Failure to Thrive / Weight Loss)
  • बार-बार संक्रमण (Frequent Infections)
  • बच्चा सुस्त और कमजोर दिखना (Lethargy / Weakness)
  • बाल झड़ना (Hair Loss)
  • कभी-कभी बुखार और निर्जलीकरण (Fever and Dehydration)

Leiner’s Disease कैसे पहचाने (Diagnosis of Leiner’s Disease)

  1. क्लिनिकल जांच (Clinical Examination) – त्वचा की स्थिति, लालिमा और पपड़ी का निरीक्षण।
  2. रक्त परीक्षण (Blood Tests)
    1. Complement Levels (C3, C4, C5)
    1. White Blood Cell Count
  3. Skin Biopsy (त्वचा की बायोप्सी) – त्वचा की सूजन और संक्रमण की पुष्टि।
  4. Microbiological Tests – Candida या अन्य संक्रमण का पता लगाने के लिए।
  5. Nutritional Evaluation – बच्चे के पोषण स्तर की जांच।

Leiner’s Disease इलाज (Treatment of Leiner’s Disease)

1. संक्रमण का उपचार (Treatment of Infection)

  • एंटीबायोटिक्स (Antibiotics) – बैक्टीरियल संक्रमण के लिए
  • एंटिफंगल दवाएं (Antifungal Therapy) – Candida संक्रमण के लिए

2. त्वचा की देखभाल (Skin Care)

  • मॉइस्चराइज़र और सौम्य क्रीम – त्वचा की सूखापन कम करने के लिए
  • माइल्ड स्टेरॉइड क्रीम – सूजन कम करने के लिए
  • सिर की सफाई (Scalp Care) – हल्के शैम्पू से

3. पोषण प्रबंधन (Nutritional Management)

  • प्रोटीन, विटामिन और मिनरल्स से भरपूर आहार
  • आवश्यक होने पर IV fluids और Supplementation

4. इम्यून सिस्टम सपोर्ट (Immune Support)

  • Complement Replacement Therapy या इम्यून बूस्टर
  • गंभीर मामलों में अस्पताल में भर्ती कर उपचार

5. माता-पिता को परामर्श (Parental Counseling)

  • बच्चे की त्वचा, स्वच्छता और पोषण पर विशेष ध्यान
  • संक्रमण के शुरुआती लक्षणों पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क

सावधानियाँ (Precautions)

  • बच्चे की त्वचा को साफ और सूखा रखें
  • कठोर साबुन या केमिकल्स का उपयोग न करें
  • संक्रमण के लक्षण दिखते ही चिकित्सक से परामर्श लें
  • स्तनपान से बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाएँ
  • नियमित पेडियाट्रिक जांच (Pediatric Checkups) करवाएँ

FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)

Q1. Leiner’s Disease किस उम्र में होती है?

यह आमतौर पर जन्म के बाद पहले 2–3 महीनों में दिखाई देती है।

Q2. क्या यह बीमारी संक्रामक है?

नहीं, यह संक्रामक नहीं है। यह इम्यून और पोषण संबंधी समस्या से जुड़ी होती है।

Q3. क्या Leiner’s Disease का इलाज संभव है?

हाँ, समय पर इलाज, संक्रमण नियंत्रण और पोषण सुधार से बच्चे को पूरी तरह ठीक किया जा सकता है।

Q4. क्या यह दोबारा हो सकती है?

यदि बच्चे की इम्यून सिस्टम की समस्या बनी रहे तो पुनरावृत्ति संभव है।

निष्कर्ष (Conclusion)

Leiner’s Disease (लिनर रोग) एक गंभीर लेकिन उपचार योग्य स्थिति है जो शिशु की त्वचा और प्रतिरक्षा प्रणाली को प्रभावित करती है।
इसका समय पर निदान, पोषण प्रबंधन, संक्रमण नियंत्रण और इम्यून सिस्टम सपोर्ट बेहद आवश्यक है।
माता-पिता द्वारा स्वच्छता, स्तनपान और नियमित जांच से बच्चे को इस रोग से सुरक्षित रखा जा सकता है।


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