Khushveer Choudhary

Louping Ill कारण, लक्षण, इलाज, रोकथाम और सावधानियाँ

लूपिंग इल (Louping Ill) एक वायरल न्यूरोलॉजिकल बीमारी (Viral Neurological Disease) है, जो मुख्य रूप से भेड़ (Sheep), बकरियों (Goats), और कभी-कभी मनुष्यों (Humans) को भी प्रभावित करती है।

यह रोग टिक (Tick) के काटने से फैलता है और मस्तिष्क तथा तंत्रिका तंत्र (Brain and Nervous System) को प्रभावित करता है।

इस बीमारी का नाम “Louping” इसलिए पड़ा क्योंकि संक्रमित पशु बार-बार उछलते या लूप करते हुए दिखाई देते हैं, जो इस रोग का एक प्रमुख लक्षण है।

लूपिंग इल क्या होता है  (What is Louping Ill?)

लूपिंग इल एक टिक-जनित (Tick-borne) वायरल संक्रमण है, जो Flavivirus परिवार से संबंधित वायरस के कारण होता है।
यह रोग केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र (Central Nervous System) में सूजन पैदा करता है, जिससे कंपन (Tremors), दौरे (Seizures) और असंतुलन (Lack of Coordination) जैसे लक्षण उत्पन्न होते हैं।

यह मुख्य रूप से Scotland, Ireland, और Europe के ठंडे क्षेत्रों में पाया जाता है, लेकिन पशुओं की आवाजाही के कारण अन्य स्थानों पर भी इसका खतरा रहता है।

लूपिंग इल कारण (Causes of Louping Ill)

  1. वायरल संक्रमण (Viral Infection):
    यह रोग Louping Ill Virus (LIV) के कारण होता है, जो Flavivirus समूह का सदस्य है।

  2. टिक के काटने से फैलाव (Transmission through Tick Bite):
    संक्रमित टिक (मुख्यतः Ixodes ricinus) पशुओं या मनुष्यों को काटने पर वायरस फैलाता है।

  3. संक्रमित पशुओं से फैलाव (Spread through Infected Animals):
    संक्रमित भेड़ या बकरियों के खून के संपर्क से अन्य पशु या मनुष्य भी संक्रमित हो सकते हैं।

  4. पर्यावरणीय कारक (Environmental Factors):
    ठंडे, घासदार या जंगल वाले क्षेत्रों में टिक अधिक पनपते हैं, जिससे संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है।

लूपिंग इल लक्षण (Symptoms of Louping Ill)

पशुओं में लक्षण (In Animals):

  • तेज बुखार (High Fever)
  • शरीर में कमजोरी (Weakness)
  • मांसपेशियों में कंपकंपी (Muscle Tremors)
  • चलने में असंतुलन (Loss of Coordination)
  • बार-बार उछलना या लूप करना (Jumping or Looping Movements)
  • लकवा या गिरना (Paralysis or Collapse)
  • भूख न लगना (Loss of Appetite)

मनुष्यों में लक्षण (In Humans):

  • सिरदर्द (Severe Headache)
  • बुखार और थकान (Fever and Fatigue)
  • जोड़ों और मांसपेशियों में दर्द (Muscle and Joint Pain)
  • मतली और उल्टी (Nausea and Vomiting)
  • मस्तिष्क में सूजन (Encephalitis)
  • चक्कर या संतुलन की कमी (Dizziness or Loss of Balance)

लूपिंग इल कैसे पहचाने (Diagnosis of Louping Ill)

  1. रक्त परीक्षण (Blood Test):
    वायरस या एंटीबॉडी की उपस्थिति की जांच के लिए।

  2. सीएसएफ परीक्षण (CSF Analysis):
    मस्तिष्कमेरु द्रव (Cerebrospinal Fluid) में सूजन और संक्रमण की जांच।

  3. वायरल आइसोलेशन (Viral Isolation):
    लैब में वायरस को अलग करके पुष्टि की जाती है।

  4. PCR टेस्ट (Polymerase Chain Reaction):
    वायरल जीनोम की पहचान के लिए सबसे सटीक जांच।

लूपिंग इल इलाज (Treatment of Louping Ill)

लूपिंग इल का कोई विशेष एंटीवायरल इलाज नहीं है, लेकिन लक्षणों को नियंत्रित करके पशु या रोगी को ठीक किया जा सकता है।

उपचार विधियाँ:

  1. समर्थनात्मक उपचार (Supportive Care):
    बुखार और दर्द कम करने वाली दवाइयाँ।

  2. इलेक्ट्रोलाइट और तरल पदार्थ (Fluid Therapy):
    निर्जलीकरण रोकने के लिए।

  3. आराम और पोषण (Rest and Nutrition):
    शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत रखने के लिए।

  4. गंभीर मामलों में अस्पताल में निगरानी (Hospital Monitoring):
    अगर न्यूरोलॉजिकल लक्षण बढ़ जाएँ।

  5. पशुओं के लिए:

    1. टिक नियंत्रण दवाइयाँ (Acaricides)
    2. संक्रमित पशुओं को अलग रखना
    3. टीकाकरण (Vaccination)

घरेलू उपाय (Home Remedies for Louping Ill)

ध्यान दें: यह रोग गंभीर हो सकता है, इसलिए घरेलू उपाय केवल सहायक रूप में अपनाएँ।

  • शरीर को आराम दें (Plenty of Rest)
  • हाइड्रेशन बनाए रखें (Stay Hydrated)
  • पोषक भोजन लें (Nutritious Diet)
  • टिक-रोधी उपाय अपनाएँ (Use Tick Repellents)
  • घासदार क्षेत्रों में सावधानी रखें

लूपिंग इल कैसे रोके (Prevention of Louping Ill)

  1. टीकाकरण (Vaccination):
    भेड़ों के लिए प्रभावी टीके उपलब्ध हैं, जो संक्रमण से बचाव करते हैं।

  2. टिक नियंत्रण (Tick Control):

    1. पशुओं पर टिक-रोधी दवाओं का उपयोग करें।
    2. चरागाहों में घास को छोटा रखें।
  3. सुरक्षा उपाय (Protective Measures):

    1. घास वाले इलाकों में पूरे कपड़े पहनें।
    2. त्वचा पर टिक रोधी क्रीम लगाएँ।
  4. संक्रमित पशुओं को अलग रखें (Isolation):
    ताकि संक्रमण अन्य पशुओं में न फैले।

सावधानियाँ (Precautions)

  • टिक के काटने से बचाव करें।
  • पशुपालन करने वालों को नियमित टिक नियंत्रण उपाय अपनाने चाहिए।
  • संक्रमित पशुओं के खून या ऊन के संपर्क से बचें।
  • अगर टिक काट ले तो तुरंत हटाएँ और घाव को साफ करें।

FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)

Q1. क्या लूपिंग इल मनुष्यों में भी होता है?
हाँ, यह दुर्लभ है लेकिन मनुष्यों को भी संक्रमित कर सकता है, विशेष रूप से जो पशुपालन करते हैं।

Q2. क्या इसका कोई टीका है?
भेड़ों के लिए प्रभावी टीका उपलब्ध है, लेकिन मनुष्यों के लिए कोई विशेष वैक्सीन नहीं है।

Q3. क्या यह रोग घातक है?
गंभीर मामलों में तंत्रिका तंत्र की सूजन के कारण मृत्यु भी हो सकती है, लेकिन समय पर इलाज से बचाव संभव है।

Q4. क्या टिक से बचने के उपाय प्रभावी हैं?
हाँ, टिक-रोधी दवाओं और कपड़ों का सही उपयोग संक्रमण रोकने में बहुत प्रभावी है।

निष्कर्ष (Conclusion)

लूपिंग इल (Louping Ill) एक टिक-जनित वायरल रोग है जो मुख्य रूप से भेड़ और बकरियों को प्रभावित करता है, और कभी-कभी मनुष्यों में भी संक्रमण हो सकता है।
हालांकि इसका कोई विशिष्ट इलाज नहीं है, लेकिन टीकाकरण, टिक नियंत्रण, और समय पर चिकित्सा देखभाल से इस रोग से बचाव और नियंत्रण संभव है।
पशुपालकों और ग्रामीण इलाकों में रहने वालों को सावधानी और स्वच्छता पर विशेष ध्यान देना चाहिए ताकि यह संक्रमण न फैले।


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