Khushveer Choudhary

Lynch Syndrome– कारण, लक्षण, निदान और इलाज

लिंच सिंड्रोम (Lynch Syndrome) एक आनुवंशिक (Genetic) विकार है जो शरीर में कैंसर विकसित होने के जोखिम को बढ़ाता है, विशेषकर कोलन (Colon) और रेक्टम (Rectum) के कैंसर का।

इसे हेरिडिटरी नॉन-पॉलीपोसिस कोलोरेक्टल कैंसर (Hereditary Nonpolyposis Colorectal Cancer – HNPCC) भी कहा जाता है।

यह सिंड्रोम तब होता है जब व्यक्ति के DNA रिपेयर जीन (DNA Mismatch Repair Genes) में म्यूटेशन हो जाता है, जिससे कोशिकाओं में DNA की गलतियाँ (Mutations) बढ़ने लगती हैं और कैंसर विकसित होता है।

लिंच सिंड्रोम क्या है? (What is Lynch Syndrome?)

लिंच सिंड्रोम एक आनुवंशिक रोग (Inherited Disorder) है जो पीढ़ी दर पीढ़ी परिवारों में चलता है।
इस स्थिति में, व्यक्ति के शरीर में ऐसे दोषपूर्ण जीन होते हैं जो DNA सुधार (DNA Repair) की प्रक्रिया को ठीक से संचालित नहीं कर पाते।
इससे समय के साथ कैंसर कोशिकाएँ (Cancer Cells) बनने की संभावना बहुत बढ़ जाती है।

लिंच सिंड्रोम से प्रभावित व्यक्ति को न केवल कोलन कैंसर बल्कि अन्य कई प्रकार के कैंसर का खतरा रहता है।

लिंच सिंड्रोम से जुड़े प्रमुख कैंसर (Cancers Associated with Lynch Syndrome)

  1. कोलोरेक्टल कैंसर (Colorectal Cancer)
  2. एंडोमेट्रियल कैंसर (Endometrial / Uterine Cancer)
  3. ओवरी कैंसर (Ovarian Cancer)
  4. पेट का कैंसर (Stomach Cancer)
  5. छोटी आंत का कैंसर (Small Intestine Cancer)
  6. लिवर या बाइल डक्ट कैंसर (Liver or Bile Duct Cancer)
  7. मूत्राशय और किडनी कैंसर (Urinary Tract Cancer)
  8. मस्तिष्क का कैंसर (Brain Cancer)

लिंच सिंड्रोम के कारण (Causes of Lynch Syndrome)

लिंच सिंड्रोम जीन म्यूटेशन (Gene Mutation) के कारण होता है।
ये म्यूटेशन Mismatch Repair (MMR) Genes में पाए जाते हैं, जो सामान्य रूप से DNA में हुई गलतियों को ठीक करने का काम करते हैं।

मुख्य रूप से प्रभावित जीन हैं —

  • MLH1
  • MSH2
  • MSH6
  • PMS2
  • EPCAM

यदि इनमें से किसी एक जीन में म्यूटेशन हो जाए, तो DNA में गलतियाँ बढ़ जाती हैं और समय के साथ कैंसर विकसित हो सकता है।

लिंच सिंड्रोम के लक्षण (Symptoms of Lynch Syndrome)

लिंच सिंड्रोम स्वयं कोई लक्षण नहीं दिखाता, लेकिन इससे जुड़े कैंसरों के लक्षण समय के साथ उभरते हैं।

मुख्य लक्षण (Common Symptoms):

  1. मल में खून आना
  2. पेट दर्द या ऐंठन
  3. वजन का अचानक कम होना
  4. थकान या कमजोरी
  5. बार-बार दस्त या कब्ज
  6. महिलाओं में असामान्य योनि रक्तस्राव
  7. पेट में गांठ या सूजन

यदि परिवार में कम उम्र (50 वर्ष से पहले) में कोलन या गर्भाशय कैंसर हुआ है, तो यह लिंच सिंड्रोम का संकेत हो सकता है।

लिंच सिंड्रोम का निदान (Diagnosis of Lynch Syndrome)

1. पारिवारिक इतिहास (Family History):

यदि परिवार में लगातार कई पीढ़ियों में कैंसर पाया गया हो, तो डॉक्टर लिंच सिंड्रोम की संभावना पर विचार करते हैं।

2. जेनेटिक टेस्टिंग (Genetic Testing):

– रक्त या लार का नमूना लेकर DNA में MMR जीन की जांच की जाती है।

3. माइक्रोसैटेलाइट अस्थिरता टेस्ट (Microsatellite Instability Test – MSI):

– यह टेस्ट कैंसर कोशिकाओं के DNA में अस्थिरता को पहचानता है।

4. इम्यूनोहिस्टोकेमिस्ट्री (IHC Test):

– यह परीक्षण देखता है कि MMR जीन प्रोटीन ठीक से काम कर रहे हैं या नहीं।

5. कोलोनोस्कोपी (Colonoscopy):

– बड़ी आंत के अंदरूनी हिस्से की जांच की जाती है ताकि कैंसर या पॉलीप्स का पता लगाया जा सके।

लिंच सिंड्रोम का इलाज (Treatment of Lynch Syndrome)

लिंच सिंड्रोम का सीधा इलाज नहीं, लेकिन इससे जुड़े कैंसरों को रोकना या जल्दी पहचानना संभव है।

1. नियमित जांच (Regular Screening):

  • हर 1–2 साल में कोलोनोस्कोपी कराना
  • महिलाओं में एंडोमेट्रियल और ओवरी जांच
  • मूत्र और पेट के कैंसर के लिए अल्ट्रासाउंड

2. शल्य चिकित्सा (Surgery):

यदि व्यक्ति में कैंसर विकसित हो गया हो, तो प्रभावित अंग का शल्य उपचार (Surgical Removal) किया जा सकता है।

3. दवाएँ (Medications):

कुछ अध्ययनों के अनुसार, एस्पिरिन (Aspirin) का नियमित सेवन लिंच सिंड्रोम वाले व्यक्तियों में कैंसर का खतरा घटा सकता है, लेकिन यह केवल डॉक्टर की सलाह से ही लिया जाना चाहिए।

4. जेनेटिक काउंसलिंग (Genetic Counseling):

यदि परिवार में लिंच सिंड्रोम का इतिहास है, तो जेनेटिक काउंसलर से सलाह लेकर अन्य परिवारजनों की जांच कराना जरूरी है।

लिंच सिंड्रोम में सावधानियाँ (Precautions and Prevention)

  1. नियमित स्क्रीनिंग कराएँ।
  2. संतुलित आहार लें – फल, सब्जियाँ और फाइबरयुक्त भोजन अधिक खाएं।
  3. धूम्रपान और शराब से परहेज करें।
  4. शारीरिक रूप से सक्रिय रहें – व्यायाम कैंसर जोखिम को घटाता है।
  5. तनाव कम करें और पर्याप्त नींद लें।
  6. परिवार के अन्य सदस्यों को भी जेनेटिक टेस्ट कराने की सलाह दें।

FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)

Q1. क्या लिंच सिंड्रोम का इलाज संभव है?
A: इसका सीधा इलाज नहीं, लेकिन नियमित जांच और सावधानी से कैंसर को रोका या शुरुआती चरण में पकड़ा जा सकता है।

Q2. क्या लिंच सिंड्रोम वंशानुगत होता है?
A: हाँ, यह माता-पिता से बच्चों में जीन के माध्यम से स्थानांतरित होता है।

Q3. क्या लिंच सिंड्रोम हमेशा कैंसर का कारण बनता है?
A: नहीं, लेकिन इससे कैंसर का खतरा सामान्य लोगों की तुलना में कई गुना अधिक होता है।

Q4. लिंच सिंड्रोम में किस उम्र से जांच शुरू करनी चाहिए?
A: आमतौर पर 20–25 वर्ष की आयु से नियमित जांच शुरू करनी चाहिए या परिवार में सबसे कम उम्र में कैंसर पाए गए व्यक्ति से 5 वर्ष पहले।

Q5. क्या लिंच सिंड्रोम से बचाव संभव है?
A: बचाव पूरी तरह संभव नहीं, लेकिन जीवनशैली में सुधार और नियमित मेडिकल जांच से जोखिम को काफी हद तक घटाया जा सकता है।

निष्कर्ष (Conclusion)

लिंच सिंड्रोम (Lynch Syndrome) एक गंभीर लेकिन नियंत्रित करने योग्य आनुवंशिक स्थिति है जो कैंसर का खतरा बढ़ाती है।
इससे बचाव का सबसे प्रभावी तरीका है – नियमित जांच, स्वस्थ जीवनशैली, और जेनेटिक परामर्श।
समय पर निदान और जागरूकता से लिंच सिंड्रोम से जुड़े कैंसर को रोका या शुरुआती चरण में पहचाना जा सकता है।

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