Prekallikrein deficiency (हिंदी में: प्रीकल्लीक्रेइन की कमी) एक बहुत ही दुर्लभ रक्त-प्रवाह संबंधी विकार है, जिसमें शरीर में एक प्रोटीन प्रीकल्लीक्रेइन (prekallikrein, PK) की मात्रा या क्रियाशीलता अत्यंत कम या अनुपस्थित होती है।
इस विकार का पहला नाम था “Fletcher factor deficiency” (फ्लेचर फैक्टर कमी) क्योंकि इसे सबसे पहले उस नाम से जाना गया था।
Prekallikrein deficiency क्या होता है? (What is Prekallikrein Deficiency)
प्रीकल्लीक्रेइन (PK) एक इनऑक्टिव प्रोटीन (ज़ाइमोजन) है, जिसे शरीर में मुख्य रूप से जिगर (liver) द्वारा बनाया जाता है।
जब रक्त में चोट-चपेट लगती है या कुछ “कॉन्टैक्ट एक्टिवेशन” प्रणाली सक्रिय होती है, तो फैक्टर XII (Factor XII) सक्रिय हो जाता है, जो prekallikrein को सक्रिय रूप में kallikrein में बदलता है। यह प्रोसेस “इन्ट्रिंसिक कोएगुलेशन पाथवे” (intrinsic coagulation pathway) का हिस्सा है।
यदि prekallikrein की कमी हो जाए, तो लैब में “activated partial thromboplastin time (aPTT)” नामक परीक्षण लंबा निकल सकता है — अर्थात् रक्त थक्के बनने की प्रक्रिया धीरे दिख सकती है।
किन्तु, बहुत महत्वपूर्ण बात यह है कि इस कमी के बावजूद अधिकांश लोगों में रक्तस्राव (bleeding) की समस्या नहीं होती।
Prekallikrein deficiency कारण (Causes)
- यह अवस्था ज्यादातर जीनेटिक (अनुवांशिक) होती है — अर्थात् इसमें शरीर के एक या दोनों जीन में उत्परिवर्तन (mutations) होते हैं। विशेष रूप से KLKB1 नामक जीन में दोष पाया गया है, जोprekallikrein प्रोटीन बनाने का निर्देश देता है।
- यह ऑटोसोमल रिसेसिव (autosomal recessive) तरीके से चलता है — अर्थात् इस विकार से प्रभावित व्यक्ति को दो दोषयुक्त जीन (एक माँ से, एक पिता से) मिलते हैं।
- बहुत कम मामलों में यह अर्जित (acquired) रूप में भी पाया गया है — जैसे कि कभी-कभी गंभीर लीवर रोग, गर्भावस्था, डिसमिनेटेड इन्ट्रावस्कुलर कोएगुलेशन (DIC) जैसी अवस्थाओं मेंprekallikrein की कमी आ सकती है।
Prekallikrein deficiency लक्षण (Symptoms of Prekallikrein Deficiency)
मुख्य लक्षण
- अधिकांश लोगों में कोई स्पष्ट लक्षण नहीं होता — यह तब तक पता नहीं चलता जब तक कभी aPTT परीक्षण न किया गया हो।
- लैब-प्रयोगशाला में परीक्षण करते समय यह देखा जाता है कि aPTT लंबा हो गया है (बहुत देर तक थक्का बनने में लगा है) जबकि Prothrombin Time (PT) सामान्य रहता है।
- कभी-कभी कुछ मामलों में थक्का बनने (थ्रोम्बोसिस) के जोखिम की बातें मिली हैं — जैसे गहरी नसों में थक्का (deep vein thrombosis, DVT), स्ट्रोक, हृदयघात आदि। हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि येprekallikrein की कमी के कारण हैं या अन्य कारणों से।
- बहुत-बहुत दुर्लभ मामलों में, रक्तस्राव हो सकता है लेकिन यह बहुत प्रारंभिक या सामान्य नहीं माना जाता।
कैसे पहचानें (How to recognise)
- यदि किसी व्यक्ति का aPTT लंबा है लेकिन PT सामान्य है, और अन्य कारण न मिल रहे हों, तोprekallikrein की कमी पर विचार हो सकता है।
- थ्रोम्बोसिस (रक्त थक्का) या अज्ञात कारण से रक्तस्राव की प्रवृत्ति की स्थिति में भी डॉक्टर इस कमी को जाँच सकते हैं।
- जीन परीक्षण द्वारा KLKB1 जीन में उत्परिवर्तन की पुष्टि हो सकती है।
Prekallikrein deficiency कैसे रोके (Prevention)
चूंकिprekallikrein की कमी मुख्यतः अनुवांशिक है, इसलिए इसे पूरी तरह से रोकना संभव नहीं है। लेकिन निम्न बातों से जोखिम नियंत्रित किया जा सकता है:
- यदि परिवार में इस कमी का इतिहास हो, तो माता-पिता को जीनिक सलाह (genetic counselling) लेना चाहिए।
- नियमित स्वास्थ्य-चेकअप कराना, विशेषत: यदि कोई थक्का या रक्तस्राव का इतिहास हो।
- किसी प्रकार की सर्जरी, दांत निकालना आदि से पहले चिकित्सक को इस कमी की जानकारी देना क्योंकि aPTT बढ़ा हो सकता है।
- थक्के बनने (थ्रोम्बोसिस) के जोखिम को कम करने के लिए स्वस्थ जीवनशैली (वजन नियंत्रण, धूम्रपान न करना, नियमित व्यायाम) अपनाना।
Prekallikrein deficiency इलाज (Treatment)
- अधिकांश मामलों में क्योंकि कोई समस्या नहीं होती, कोई विशेष उपचार आवश्यक नहीं होता।
- यदि कोई सर्जरी होनी हो या रक्तस्राव की स्थिति हो, तो चिकित्सक फ्रेश फ्रोजन प्लाज्मा (FFP) या अन्य सहायक उपायों पर विचार कर सकते हैं।
- थ्रोम्बोसिस हुआ हो तो सामान्य थ्रोम्बोसिस-प्रबंधन (जैसे एंटीकोआगुलेंट्स) की आवश्यकता हो सकती है, लेकिन यहprekallikrein की कमी विशेषकर इसलिए नहीं बल्कि थक्का-रिस्क के अन्य कारणों से होती है।
- जीन थेरेपी या विशिष्ट उपचार फिलहाल व्यापक रूप से मौजूद नहीं हैं इसके लिए।
घरेलू उपाय (Home Remedies / Supportive Measures)
- संतुलित और पोषक आहार लेना, जिसमें विटामिन्स, मिनरल्स, प्रोटीन पर्याप्त हो।
- नियमित व्यायाम — हल्की-मध्यम गतिविधि जैसे तेज पैदल चलना, योग, साइकिलिंग करना।
- धूम्रपान एवं अधिक शराब का सेवन बंद करना क्योंकि ये रक्तवाहिकाओं एवं थक्का-प्रवणता को प्रभावित करते हैं।
- सर्जरी, दांत की शल्य-क्रिया आदि से पहले अपने चिकित्सक को अपनी कोएगुलेशन रिपोर्ट (aPTT, PT) दिखाना।
- यदि लंबे समय तक गतिहीन रहें (उदाहरण: अस्पताल में भर्ती, यात्रा आदि), तो थक्का-रोकथाम की दिशा में पैर उठाना, हल्के पैरों की एक्सरसाइज करना।
सावधानियाँ (Precautions)
- यदि आपके परीक्षण में aPTT बहुत समय से लंबा है, तो बिना कारण आगे जाँचना जरूरी है। सिर्फ इस कमी के कारण हो सकता है।
- किसी भी ऑपरेशन, इंजेक्शन, दांत निकालने आदि से पहले चिकित्सक को इस कमी की जानकारी देना बहुत महत्वपूर्ण है।
- थक्का-बनने (DVT) या स्ट्रोक के लक्षण (जैसे पैर में अचानक दर्द/सूजन, छाती में दर्द, सांस लेने में कठिनाई) आने पर तुरंत चिकित्सकीय सहायता लेना।
- किसी भी अन्य रक्त-स्राव विकार (bleeding disorder) या दवाओं (जैसे एंटीकोआगुलेंट)-उपचार की स्थिति में इस कमी को ध्यान में रखना चाहिए।
- नियमित रूप से चिकित्सकीय जाँच कराते रहना।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
Q1. क्याprekallikrein की कमी होने पर हमेशा ब्लीडिंग होगी?
A1. नहीं। ज्यादातर मामलों में कोई ब्लीडिंग समस्या नहीं होती।
Q2. यह कमी कितनी आम है?
A2. बहुत ही दुर्लभ है। अब तक प्रामाणित मात्र लगभग 80 से अधिक व्यक्ति और लगभग 30-परिवारों में ही रिपोर्ट हुई है।
Q3. क्या यह अगली पीढ़ी में भी हो सकती है?
A3. हाँ, यदि दोनों माता-पिता में दोषयुक्त जीन हैं, तो उनके बच्चों में यह ऑटोसोमल रिसेसिव तरीके से हो सकती है।
Q4. क्या यह थक्का बनने (थ्रोम्बोसिस) का कारण बन सकती है?
A4. कुछ मामलों में थ्रोम्बोसिस की रिपोर्ट मिली हैं, लेकिन यह स्पष्ट नहीं है किprekallikrein की कमी स्वयं थ्रोम्बोसिस का कारण है या अन्य जोखिम-कारकों के साथ मिलकर।
Q5. क्या जीन परीक्षण उपलब्ध है?
A5. हाँ। KLKB1 जीन का विश्लेषण किया जा सकता है, लेकिन यह सामान्य चिकित्सकीय जाँच का हिस्सा नहीं होता, बल्कि विशेष परिस्थितियों में किया जाता है।
निष्कर्ष
प्रीकल्लीक्रेइन की कमी एक बहुत दुर्लभ, सामान्यतः बिना लक्षण वाला रक्त-प्रवाह संबंधी दोष है। इसके कारण थक्का बनने की प्रक्रिया में प्रयोग होने वाला एक फ्रैक्शन प्रभावित होता है, लेकिन अधिकांश तौर पर इस कमी से गंभीर रक्तस्राव या स्वतन्त्र थ्रोम्बोसिस नहीं होती। समय-समय पर जाँच द्वारा इसका पता चल सकता है। यदि आपका aPTT लंबा है लेकिन PT सामान्य है, तो चिकित्सकीय सलाह लेना उचित रहेगा।
जानकारी के आधार पर सावधानी अपनाना — विशेष रूप से सर्जरी या अन्य चिकित्सा प्रक्रियाओं की तैयारी में — यह सुनिश्चित करता है कि अनावश्यक जोखिम कम हो जाएँ।