Tachycardia-Induced Cardiomyopathy क्या है? लक्षण, कारण, इलाज और बचाव

Tachycardia-Induced Cardiomyopathy (TICM) एक ऐसी हृदय संबंधी स्थिति है, जिसमें लगातार या बार-बार तेज़ दिल की धड़कन (Tachycardia) के कारण हृदय की मांसपेशियाँ कमज़ोर हो जाती हैं और दिल की पंप करने की क्षमता घट जाती है। यह स्थिति एक रिवर्सिबल (उलटने योग्य) कार्डियोमायोपैथी मानी जाती है, अगर समय पर पहचानकर इलाज किया जाए।

Tachycardia-Induced Cardiomyopathy में क्या होता है?

इस स्थिति में तेज़ और असामान्य दिल की धड़कन लंबे समय तक बनी रहती है, जिससे हृदय को पर्याप्त आराम नहीं मिल पाता और वह सामान्य रूप से काम नहीं कर पाता। धीरे-धीरे हृदय की मांसपेशियाँ कमज़ोर हो जाती हैं और हार्ट फेल्योर जैसे लक्षण प्रकट होते हैं।

Tachycardia-Induced Cardiomyopathy के कारण

  • सुप्रावेंट्रिकुलर टैकिकार्डिया (SVT)
  • Atrial fibrillation/flutter
  • Ventricular tachycardia
  • Accessory pathway disorders (जैसे WPW syndrome)
  • Hyperthyroidism (अत्यधिक थायरॉइड हॉर्मोन)
  • कैफीन, निकोटीन या दवाओं का अत्यधिक सेवन
  • इलेक्ट्रोलाइट असंतुलन

Tachycardia-Induced Cardiomyopathy के लक्षण

  • सांस फूलना, विशेषकर सीढ़ी चढ़ने या लेटने पर
  • तेज़ या अनियमित धड़कन महसूस होना (Palpitations)
  • थकावट और कमजोरी
  • चक्कर आना या बेहोशी
  • सीने में भारीपन या दर्द
  • पैरों में सूजन
  • अचानक वजन बढ़ना (fluid retention के कारण)

कैसे पहचाने: Diagnosis

  1. ECG (Electrocardiogram): दिल की धड़कन की गड़बड़ी की पहचान
  2. Holter Monitoring: 24-48 घंटे की दिल की गतिविधि की निगरानी
  3. Echocardiogram (ईको): हृदय की पंप करने की क्षमता और वाल्व की स्थिति की जांच
  4. Cardiac MRI या CT Scan: विस्तृत जांच के लिए
  5. Blood Tests: थायरॉइड, इलेक्ट्रोलाइट्स और अन्य मूल कारण जानने के लिए
  6. Electrophysiological Study (EPS): हृदय के इलेक्ट्रिकल सिस्टम की गहराई से जांच

Tachycardia-Induced Cardiomyopathy का इलाज

1. दिल की धड़कन नियंत्रित करना (Heart Rate/Rhythm Control)

  • दवाएं: Beta-blockers, Calcium channel blockers, Antiarrhythmic drugs
  • Cardioversion: अनियमित धड़कन को नियंत्रित करने के लिए
  • Catheter Ablation: विद्युत संकेतों की गड़बड़ी ठीक करने के लिए रेडियोफ्रीक्वेंसी से इलाज

2. हृदय की मांसपेशी को मजबूत करना

  • ACE inhibitors, ARBs या अन्य हार्ट फेल्योर की दवाएं

3. Lifestyle सुधार

  • तनाव कम करना, व्यायाम, संतुलित आहार

समय पर इलाज शुरू किया जाए तो हृदय की कार्यक्षमता सामान्य स्तर पर लौट सकती है।


Tachycardia-Induced Cardiomyopathy से बचाव कैसे करें?

  • दिल की अनियमित धड़कन को नजरअंदाज न करें
  • कैफीन, शराब और धूम्रपान से दूर रहें
  • हाई ब्लड प्रेशर और थायरॉइड जैसे रोगों का इलाज कराएं
  • नियमित ECG और हृदय जांच कराएं
  • पर्याप्त नींद और तनाव रहित जीवनशैली अपनाएं

Tachycardia-Induced Cardiomyopathy के घरेलू उपाय (Home Remedies)

घरेलू उपाय सहायक हो सकते हैं लेकिन इलाज का विकल्प नहीं हैं।

  • तुलसी और अश्वगंधा: हृदय को शांत रखने में मदद
  • भोजन में पोटैशियम और मैग्नीशियम युक्त चीजें शामिल करें
  • कैफीन और चीनी का सेवन सीमित करें
  • गहरी सांस लेने की क्रियाएं (प्राणायाम)
  • नींद का नियमित समय तय करें

सावधानियाँ

  • लक्षणों की अनदेखी न करें
  • डॉक्टर की सलाह के बिना दवाइयों में बदलाव न करें
  • हार्ट रेट मॉनिटर या स्मार्टवॉच से नियमित निगरानी करें
  • किसी भी अचानक बदलाव पर तुरंत चिकित्सा सहायता लें
  • संक्रमण या बुखार जैसी स्थिति में दिल की गति पर ध्यान दें

FAQs: अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

प्र.1: क्या Tachycardia-Induced Cardiomyopathy ठीक हो सकती है?
उत्तर: हाँ, यदि जल्दी पहचान कर इलाज किया जाए तो यह स्थिति पूरी तरह से ठीक हो सकती है।

प्र.2: इसका सबसे बड़ा खतरा क्या है?
उत्तर: यह हार्ट फेल्योर या गंभीर एरिदमिया में बदल सकता है, जो जानलेवा हो सकता है।

प्र.3: क्या यह हर बार Tachycardia के साथ होता है?
उत्तर: नहीं, केवल लंबे समय तक अनियंत्रित टैकिकार्डिया रहने पर ऐसा हो सकता है।

प्र.4: क्या बच्चों या युवाओं में हो सकता है?
उत्तर: हाँ, लेकिन अधिकतर मामलों में यह वयस्कों में देखने को मिलता है।

प्र.5: क्या Ablation के बाद यह दोबारा हो सकता है?
उत्तर: सही तरीके से Ablation सफल हो तो दोबारा होने की संभावना बहुत कम होती है।


निष्कर्ष

Tachycardia-Induced Cardiomyopathy एक ऐसी स्थिति है जिसे अनदेखा करने पर दिल को स्थायी नुकसान पहुंच सकता है। लेकिन अच्छी बात यह है कि सही समय पर पहचान और उपचार से यह पूरी तरह से ठीक हो सकती है। अनियमित धड़कन को हल्के में न लें और किसी भी लक्षण पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

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