Acute Fatty Liver of Pregnancy (AFLP) एक दुर्लभ लेकिन गंभीर स्थिति है, जो गर्भावस्था के अंतिम तिमाही में होती है। इस स्थिति में यकृत (लिवर) में अत्यधिक फैट जमा हो जाता है, जिससे लिवर का कार्य बाधित होता है और यह मां और शिशु दोनों के लिए जानलेवा हो सकता है यदि समय पर इलाज न मिले।
AFLP क्या होता है? (What Happens in AFLP)
AFLP में यकृत की कोशिकाएं वसा से भर जाती हैं, जिससे यकृत ठीक से काम नहीं कर पाता। यह एक मेडिकल इमरजेंसी है, और जैसे ही इसकी पहचान हो, तुरंत डिलीवरी और इलाज जरूरी होता है।
Acute Fatty Liver of Pregnancy के कारण (Causes of AFLP)
- माइटोकॉन्ड्रियल फैटी एसिड ऑक्सीडेशन में दोष (Fatty acid oxidation disorder in fetus)
- वंशानुगत आनुवंशिक दोष (Genetic mutation, विशेषकर LCHAD deficiency)
- पहली बार गर्भधारण करना (Primigravida)
- बहुव胎 गर्भावस्था (Multiple gestation pregnancy)
- प्री-एक्लेम्पसिया और HELLP syndrome के साथ संबंध
यह स्थिति आमतौर पर गर्भावस्था की तीसरी तिमाही में सामने आती है।
Acute Fatty Liver of Pregnancy के लक्षण (Symptoms of AFLP)
- मिचली और उल्टी (Nausea and vomiting)
- कमज़ोरी और थकावट (Severe fatigue)
- पेट के ऊपरी हिस्से में दर्द (Pain in upper right abdomen)
- भूख में कमी (Loss of appetite)
- पीलिया (Jaundice - त्वचा और आंखें पीली होना)
- सिरदर्द और मानसिक भ्रम (Confusion or disorientation)
- अत्यधिक प्यास और बार-बार पेशाब (Polydipsia and polyuria)
- ब्लड प्रेशर बढ़ना या गिरना (BP fluctuation)
- सांस लेने में कठिनाई (Breathing difficulty)
- गंभीर मामलों में कोमा और अंग विफलता (Organ failure in advanced stages)
AFLP की पहचान कैसे करें (Diagnosis of AFLP)
- लक्षणों का मूल्यांकन (Clinical assessment)
- रक्त परीक्षण (Blood tests)
- लिवर एंजाइम (ALT, AST)
- बिलिरुबिन स्तर
- INR/PT टेस्ट
- किडनी फंक्शन टेस्ट
- अल्ट्रासाउंड या MRI स्कैन – लिवर में फैट जमा होने की पुष्टि
- लिवर बायोप्सी – बहुत कम मामलों में किया जाता है
Acute Fatty Liver of Pregnancy का इलाज (Treatment of AFLP)
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तुरंत डिलीवरी (Immediate Delivery):
जैसे ही AFLP की पुष्टि होती है, भ्रूण को तुरंत निकालना आवश्यक होता है चाहे डिलीवरी प्रीमेच्योर हो। -
हॉस्पिटल में भर्ती:
गहन निगरानी और देखभाल ICU में -
इलेक्ट्रोलाइट बैलेंस सुधारना और हाइड्रेशन
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लिवर और किडनी सपोर्ट (Organ Support)
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ब्लड क्लॉटिंग के लिए प्लाज्मा/प्लेटलेट ट्रांसफ्यूजन
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In some cases: Dialysis or Ventilator support
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Recovery के बाद मातृ और नवजात की लगातार निगरानी
Acute Fatty Liver of Pregnancy को कैसे रोके (Prevention Tips)
- गर्भावस्था के दौरान नियमित जांच कराएं
- तीसरी तिमाही में लिवर फंक्शन टेस्ट करवाएं
- पूर्व गर्भावस्था में AFLP रहा हो तो विशेष निगरानी रखें
- उच्च जोखिम गर्भावस्था की पहचान और विशेष डॉक्टर से परामर्श
- संतुलित आहार और स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं
क्या होता है के घरेलू उपाय (Home Remedies for AFLP)
महत्वपूर्ण नोट: AFLP एक आपातकालीन स्थिति है, केवल घरेलू उपाय पर्याप्त नहीं हैं। नीचे दिए उपाय केवल पूरक के रूप में हैं:
- गर्भावस्था में पौष्टिक और कम वसा वाला भोजन लें
- पर्याप्त पानी पीना और हाइड्रेटेड रहना
- जंक फूड, अधिक वसा वाले भोजन और तले हुए खाद्य पदार्थों से परहेज़ करें
- हल्की फिजिकल एक्टिविटी (जैसे वॉक)
- प्राकृतिक और ताजे फल/सब्जियों का सेवन करें
AFLP में सावधानियाँ (Precautions in AFLP)
- तीसरी तिमाही में पेट दर्द, पीलिया या उल्टी को नज़रअंदाज़ न करें
- ब्लड प्रेशर और शुगर की नियमित जांच कराएं
- डॉक्टर द्वारा दी गई दवाओं को नियमित रूप से लें
- अगर पहले AFLP रहा हो तो अगली गर्भावस्था में विशेष देखभाल रखें
- जन्म के बाद भी कुछ दिनों तक निगरानी रखें
FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)
प्रश्न 1: AFLP कितनी गंभीर स्थिति है?
उत्तर: यह एक जानलेवा स्थिति हो सकती है, यदि समय पर पहचान और इलाज न हो।
प्रश्न 2: क्या AFLP के बाद फिर से गर्भधारण संभव है?
उत्तर: हाँ, लेकिन जोखिम बढ़ा हुआ होता है, इसलिए विशेष निगरानी की आवश्यकता होती है।
प्रश्न 3: AFLP की शुरुआत कब होती है?
उत्तर: यह आमतौर पर गर्भावस्था की तीसरी तिमाही (28-40 सप्ताह) में होती है।
प्रश्न 4: क्या AFLP से शिशु को खतरा होता है?
उत्तर: हाँ, शिशु को समयपूर्व जन्म, श्वसन समस्या या मृत्यु का खतरा हो सकता है।
प्रश्न 5: क्या AFLP केवल पहली गर्भावस्था में होता है?
उत्तर: नहीं, लेकिन यह पहली बार गर्भधारण करने वाली महिलाओं में अधिक आम होता है।
निष्कर्ष (Conclusion)
Acute Fatty Liver of Pregnancy (AFLP) एक दुर्लभ लेकिन अत्यंत गंभीर स्थिति है जो मां और शिशु दोनों के लिए खतरनाक हो सकती है। यदि तीसरी तिमाही में उल्टी, पीलिया, पेट दर्द जैसे लक्षण दिखाई दें तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। समय पर निदान और इलाज ही सुरक्षित प्रसव और मातृत्व सुनिश्चित कर सकता है।