Khushveer Choudhary

Chronic Urinary Retention कारण, लक्षण, इलाज, घरेलू उपाय और सावधानियाँ

Chronic Urinary Retention (पुरानी मूत्र प्रतिधारण) एक ऐसी स्थिति है जिसमें व्यक्ति की मूत्राशय (bladder) पूरी तरह से खाली नहीं हो पाता, जिससे मूत्र बार-बार या लगातार मूत्राशय में जमा रहता है। यह स्थिति धीरे-धीरे विकसित होती है और अक्सर बिना किसी तीव्र लक्षण के लंबे समय तक बनी रहती है।









Chronic Urinary Retention क्या होता है (What is Chronic Urinary Retention)?

Chronic Urinary Retention वह स्थिति है जब मूत्र त्याग के बाद भी मूत्राशय में काफी मात्रा में मूत्र शेष रह जाता है। इससे व्यक्ति को बार-बार पेशाब करने की आवश्यकता महसूस होती है, मूत्र की धार कमजोर होती है, और मूत्राशय में भारीपन या असुविधा बनी रहती है। समय के साथ यह स्थिति किडनी पर भी असर डाल सकती है।

Chronic Urinary Retention के कारण (Causes):

  1. प्रोस्टेट वृद्धि (Benign Prostatic Hyperplasia - BPH) – पुरुषों में सबसे आम कारण
  2. मूत्रमार्ग की रुकावट (Urethral stricture)
  3. न्यूरोजेनिक ब्लैडर (Neurogenic bladder) – जैसे स्पाइनल कॉर्ड इंजरी, मल्टीपल स्केलेरोसिस
  4. मूत्राशय की मांसपेशियों की कमजोरी (Detrusor underactivity)
  5. पेल्विक सर्जरी के बाद तंत्रिका क्षति
  6. डायबिटीज (Diabetes) – तंत्रिकाओं को प्रभावित कर सकता है
  7. मूत्राशय की पथरी (Bladder stones)
  8. ट्यूमर (Tumors) या कैंसर – ब्लैडर या प्रॉस्टेट में
  9. कुछ दवाएं (Anticholinergics, opioids)
  10. मलद्वार के आसपास फोड़ा या संक्रमण (Perianal abscess)

Chronic Urinary Retention के लक्षण (Symptoms of Chronic Urinary Retention):

  1. बार-बार पेशाब जाने की आवश्यकता
  2. पेशाब करते समय जलन या रुकावट
  3. मूत्र की कमजोर धार
  4. मूत्र त्याग में देर लगना
  5. मूत्राशय खाली न होने का अहसास
  6. मूत्र त्याग के बाद टपकाव (dribbling)
  7. पेट में नीचे की ओर भारीपन या सूजन
  8. रात में बार-बार पेशाब आना (Nocturia)
  9. मूत्र मार्ग में संक्रमण (UTI) की बारंबारता
  10. किडनी से संबंधित लक्षण जैसे कमज़ोरी, सूजन

कैसे पहचाने Chronic Urinary Retention (Diagnosis):

  1. मेडिकल हिस्ट्री और लक्षणों की समीक्षा
  2. फिजिकल एग्जामिनेशन (Prostate/Abdomen exam)
  3. अल्ट्रासाउंड – पोस्ट वॉइड रेसिडुअल यूरिन जांच
  4. यूरेथ्रोसिस्टोस्कोपी (Urethroscopy or cystoscopy)
  5. Urodynamic tests – ब्लैडर की कार्यप्रणाली जांचने हेतु
  6. MRI/CT स्कैन – यदि तंत्रिका से संबंधित कारण हों
  7. ब्लड टेस्ट – किडनी फंक्शन चेक करने के लिए
  8. PSA टेस्ट – प्रोस्टेट कैंसर की संभावना के लिए

Chronic Urinary Retention का इलाज (Treatment):

  1. कैथेटराइज़ेशन (Catheterization) – मूत्र निकासी के लिए
  2. प्रोस्टेट बढ़ने पर Alpha-blockers या 5-alpha-reductase inhibitors
  3. सर्जरी (TURP – Transurethral Resection of the Prostate)
  4. Urethral dilatation या stent placement
  5. Bladder training या biofeedback therapy
  6. न्यूरोमॉड्यूलेशन (sacral nerve stimulation)
  7. Botox injection – मूत्राशय की मांसपेशियों को शांत करने हेतु
  8. मूल कारण का उपचार (जैसे कैंसर, स्टोन)
  9. Pelvic floor physiotherapy
  10. डायबिटीज और न्यूरोलॉजिकल विकारों का नियंत्रण

कैसे रोके Chronic Urinary Retention (Prevention Tips):

  1. समय पर पेशाब रोककर न रखें
  2. पर्याप्त पानी पिएं लेकिन ज्यादा भी नहीं
  3. प्रोस्टेट हेल्थ की नियमित जांच कराएं
  4. ब्लैडर फुल महसूस होने पर तुरंत खाली करें
  5. कब्ज से बचें, क्योंकि यह मूत्र मार्ग पर दबाव डाल सकता है
  6. दवाओं का सेवन डॉक्टर की सलाह से करें
  7. मधुमेह और न्यूरोलॉजिकल बीमारियों का प्रबंधन करें
  8. ज्यादा देर तक बैठना टालें
  9. वजन संतुलित रखें
  10. UTI से बचाव के लिए हाइजीन का ध्यान रखें

घरेलू उपाय (Home Remedies):

  1. गुनगुने पानी में बैठना (Sitz bath) – मूत्र मार्ग की मांसपेशियों को आराम देने के लिए
  2. तरल पदार्थों का संतुलित सेवन
  3. प्याज और अजवाइन का पानी – मूत्र पथ को साफ करने हेतु
  4. तुलसी और अदरक का रस – संक्रमण से बचाव में सहायक
  5. गर्म पानी की बोतल पेट पर रखने से ब्लैडर में राहत
  6. गुड़ और सौंफ का मिश्रण – मूत्र प्रवाह को बेहतर करने में सहायक
  7. ध्यान और योग (प्राणायाम) – तंत्रिका तंत्र को मजबूत करने के लिए
  8. ट्राइफलॉक्स डाइट (low-oxalate diet) – स्टोन रोकने में मददगार
  9. गुलकंद का सेवन – शरीर को ठंडक देता है
  10. ब्लैडर स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज

सावधानियाँ (Precautions):

  1. बार-बार मूत्र रुकने की समस्या को नजरअंदाज न करें
  2. पेशाब में जलन, दर्द या बदबू हो तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें
  3. बिना परामर्श के मूत्रवर्धक दवाओं का सेवन न करें
  4. कैथेटर प्रयोग में स्वच्छता बनाए रखें
  5. लंबे समय तक पेशाब रोके नहीं
  6. नियमित UTI जांच करवाएं
  7. प्रोस्टेट हेल्थ के लिए सालाना जांच
  8. बढ़ती उम्र में मूत्र स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान
  9. सर्जरी के बाद निर्देशों का पालन करें
  10. बहुत देर बैठने से बचें, नियमित चलना फायदेमंद

FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न):

Q1. क्या Chronic Urinary Retention पुरुषों में ज्यादा होती है?
हाँ, खासकर बुजुर्ग पुरुषों में प्रोस्टेट वृद्धि के कारण यह अधिक आम है।

Q2. क्या यह स्थिति महिलाओं में भी हो सकती है?
हाँ, हालांकि कम होती है, लेकिन न्यूरोलॉजिकल कारणों या श्रोणि की सर्जरी के बाद हो सकती है।

Q3. क्या यह स्थिति स्थायी होती है?
नहीं, उचित इलाज और प्रबंधन से इसे पूरी तरह नियंत्रित किया जा सकता है।

Q4. क्या इससे किडनी पर असर पड़ सकता है?
हाँ, लंबे समय तक पेशाब जमा रहने से किडनी को नुकसान पहुंच सकता है।

Q5. क्या इस स्थिति में बार-बार संक्रमण होता है?
हाँ, ब्लैडर में पेशाब जमा रहने से UTI की संभावना बढ़ जाती है।

निष्कर्ष (Conclusion):

Chronic Urinary Retention (पुरानी मूत्र प्रतिधारण) एक गंभीर लेकिन उपचार योग्य स्थिति है। यह स्थिति धीरे-धीरे विकसित होती है और शरीर के अन्य अंगों को भी प्रभावित कर सकती है। समय पर पहचान, उचित इलाज, सावधानी और नियमित चिकित्सा जांच के माध्यम से इस समस्या को नियंत्रित किया जा सकता है और जीवन की गुणवत्ता को बेहतर बनाया जा सकता है।


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