Diphyllobothriasis क्या है? कारण, लक्षण, इलाज, रोकथाम, घरेलू उपाय और पूरी जानकारी

Diphyllobothriasis (डिफिलोबोथ्रिएसिस) एक परजीवी संक्रमण (Parasitic Infection) है जो Diphyllobothrium latum नामक टेपवर्म (फीताकृमि) के कारण होता है। यह संक्रमण आमतौर पर कच्ची या अधपकी मछली (Raw or Undercooked Fish) खाने से फैलता है। यह दुनिया भर में विशेष रूप से ठंडे मीठे पानी वाले क्षेत्रों में अधिक आम है, जैसे कि स्कैंडेनेविया, रूस, कनाडा, जापान आदि।

यह टेपवर्म मानव की आंत (Intestine) में वर्षों तक जीवित रह सकता है और शरीर से आवश्यक पोषक तत्वों को अवशोषित करता है, जिससे विटामिन बी12 की कमी (Vitamin B12 deficiency) और अनीमिया (Anemia) जैसी स्थितियाँ हो सकती हैं।

Diphyllobothriasis क्या होता है ? (What is Diphyllobothriasis?)

Diphyllobothriasis एक टेपवर्म संक्रमण है जो इंसानों में तब होता है जब वे संक्रमित मछली का सेवन करते हैं। यह टेपवर्म छोटी आंत में रहकर धीरे-धीरे शरीर के पोषक तत्वों को चुराता है। संक्रमण की गंभीरता इस बात पर निर्भर करती है कि कृमि कितने लंबे समय से शरीर में है और वह कितनी संख्या में मौजूद है।

डिफिलोबोथ्रिएसिस के कारण (Causes of Diphyllobothriasis):

  1. कच्ची या अधपकी मछली का सेवन जिसमें Diphyllobothrium के लार्वा हों।
  2. संक्रमित पानी में पली-बढ़ी मछली खाना।
  3. अपर्याप्त पकाई गई मीठे पानी की मछलियों का सेवन।
  4. मछली को ठीक से स्टोर या फ्रिज न करना।
  5. गंदे हाथों से खाना खाना, विशेषकर मछली साफ करने के बाद।

डिफिलोबोथ्रिएसिस के लक्षण (Symptoms of Diphyllobothriasis):

बहुत से मामलों में कोई स्पष्ट लक्षण नहीं दिखाई देते, लेकिन निम्नलिखित लक्षण पाए जा सकते हैं:

  1. पेट में हल्का दर्द (Mild abdominal pain)
  2. मितली या उल्टी (Nausea or vomiting)
  3. वजन में गिरावट (Weight loss)
  4. दस्त या कब्ज (Diarrhea or constipation)
  5. थकावट और कमजोरी (Fatigue and weakness)
  6. भूख में कमी (Loss of appetite)
  7. पेट फूलना (Abdominal bloating)
  8. विटामिन B12 की कमी से अनीमिया (Anemia due to vitamin B12 deficiency)
  9. मल में कृमि के टुकड़े निकलना (Passage of worm segments in stool)

डिफिलोबोथ्रिएसिस की पहचान कैसे करें? (How to Diagnose Diphyllobothriasis?)

  1. स्टूल टेस्ट (Stool Examination): मल में टेपवर्म के अंडे या टुकड़े देखे जाते हैं।
  2. ब्लड टेस्ट (Blood Test): शरीर में विटामिन B12 की कमी या अनीमिया की जांच के लिए।
  3. Complete Blood Count (CBC): ईोसिनोफिलिया या मेगालोब्लास्टिक अनीमिया की पुष्टि के लिए।
  4. Serology Tests: एंटीबॉडीज की उपस्थिति के लिए।

डिफिलोबोथ्रिएसिस का इलाज (Treatment of Diphyllobothriasis):

  1. Antiparasitic दवाएं (Anthelmintic Drugs):

    1. Praziquantel (प्राजिक्वांटेल) — सबसे प्रभावी दवा।
    1. Niclosamide (निकलोसामाइड) — विकल्प के रूप में उपयोग किया जाता है।
  2. Vitamin B12 सप्लिमेंटेशन: यदि B12 की कमी पाई जाती है तो डॉक्टर इसकी पूर्ति के लिए सप्लीमेंट या इंजेक्शन दे सकते हैं।

  3. फॉलो-अप टेस्ट: यह सुनिश्चित करने के लिए कि कृमि पूरी तरह शरीर से बाहर हो गया है।

डिफिलोबोथ्रिएसिस से कैसे बचें? (Prevention of Diphyllobothriasis)

  1. मछली को अच्छी तरह पकाकर खाएं (Proper Cooking of Fish):

    1. कम से कम 63 डिग्री सेल्सियस पर पकाएं।
  2. मछली को गहरी फ्रीजिंग करें (Deep Freezing):

    1. कम से कम -20 डिग्री सेल्सियस पर 7 दिन तक स्टोर करें।
  3. सिर्फ प्रमाणित स्रोत से मछली खरीदें।

  4. साफ-सफाई का ध्यान रखें।

  5. सूरसिन (Sushi), सेविचे और अधपकी मछली के सेवन से बचें, विशेषकर यदि प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर हो।

डिफिलोबोथ्रिएसिस के घरेलू उपाय (Home Remedies for Diphyllobothriasis):

नोट: घरेलू उपाय प्राथमिक उपचार हो सकते हैं, लेकिन इनसे परजीवी पूरी तरह समाप्त नहीं होते। डॉक्टरी इलाज आवश्यक होता है।

  1. लहसुन (Garlic): परजीवी विरोधी गुण होते हैं, लेकिन केवल सहायक उपाय है।
  2. कद्दू के बीज (Pumpkin seeds): इसमें कृमिनाशक गुण पाए जाते हैं।
  3. पपीते के बीज (Papaya seeds): टेपवर्म से लड़ने में सहायक हो सकते हैं।
  4. फाइबर युक्त आहार: आंतों की सफाई में सहायक।
  5. अधिक पानी पीना: शरीर से विषैले पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है।

डिफिलोबोथ्रिएसिस में सावधानियाँ (Precautions in Diphyllobothriasis):

  1. हमेशा मछली को अच्छे से पकाएं।
  2. यदि आपको पेट की समस्या है और आप मछली खाते हैं, तो डॉक्टर से जांच कराएं।
  3. नियमित रूप से हाथ धोना और किचन की स्वच्छता बनाए रखना।
  4. घरेलू जानवरों को भी संक्रमित मछली से दूर रखें।
  5. टेपवर्म का इलाज पूरा करें और दोबारा जांच अवश्य कराएं।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs about Diphyllobothriasis):

प्रश्न 1: क्या डिफिलोबोथ्रिएसिस खतरनाक है?
उत्तर: हां, अगर समय पर इलाज न हो तो यह अनीमिया, कमजोरी और न्यूरोलॉजिकल समस्याएं पैदा कर सकता है।

प्रश्न 2: क्या यह बीमारी केवल मछली खाने से होती है?
उत्तर: हां, विशेषकर कच्ची या अधपकी मछली खाने से ही यह संक्रमण होता है।

प्रश्न 3: क्या टेपवर्म शरीर से खुद ही निकल जाता है?
उत्तर: नहीं, इसके लिए विशेष दवाओं की आवश्यकता होती है।

प्रश्न 4: क्या एक बार इलाज के बाद दोबारा हो सकता है?
उत्तर: हां, यदि फिर से संक्रमित मछली खाई जाए तो दोबारा संक्रमण संभव है।

प्रश्न 5: क्या बच्चों में भी हो सकता है?
उत्तर: हां, यदि वे संक्रमित मछली खाते हैं तो उन्हें भी संक्रमण हो सकता है।

निष्कर्ष (Conclusion):

Diphyllobothriasis (डिफिलोबोथ्रिएसिस) एक परजीवी संक्रमण है जो आमतौर पर कच्ची या अधपकी मछली के सेवन से फैलता है। यह बीमारी शरीर में पोषक तत्वों की कमी, विशेष रूप से विटामिन B12 की कमी का कारण बन सकती है। समय पर निदान (Diagnosis), इलाज (Treatment) और उचित रोकथाम (Prevention) से इस बीमारी से पूरी तरह से बचा जा सकता है। मछली का सेवन करते समय उचित सावधानी बरतें और यदि किसी भी प्रकार के लक्षण दिखाई दें तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।


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