Khushveer Choudhary

NT Scan (Nuchal Translucency) क्या है? कारण, प्रक्रिया, लक्षण, इलाज, सावधानियाँ, घरेलू उपाय व पूरी जानकारी

NT Scan या Nuchal Translucency Scan, गर्भावस्था के पहले तिमाही (First Trimester) में किया जाने वाला एक विशेष अल्ट्रासाउंड परीक्षण (Ultrasound Test) है, जो भ्रूण की गर्दन के पीछे की त्वचा के नीचे मौजूद तरल पदार्थ (fluid) की मोटाई को मापता है। यह परीक्षण मुख्यतः डाउन सिंड्रोम (Down Syndrome) और अन्य क्रोमोसोमल असामान्यताओं (chromosomal abnormalities) की पहचान के लिए किया जाता है।

यह टेस्ट गर्भावस्था के 11वें से 14वें सप्ताह के बीच कराया जाता है।








NT Scan क्या होता है ? (What is NT Scan?)

Nuchal Translucency Scan (NT Scan) एक गैर-आक्रामक (non-invasive) अल्ट्रासाउंड तकनीक है, जिसमें भ्रूण की गर्दन के पीछे की त्वचा के नीचे जमा तरल पदार्थ की परत (translucency) की मोटाई को मापा जाता है। यदि यह मोटाई सामान्य से अधिक हो, तो यह संकेत हो सकता है कि भ्रूण को Down Syndrome (Trisomy 21), Edwards Syndrome (Trisomy 18) या Patau Syndrome (Trisomy 13) जैसी कोई गंभीर अनुवांशिक विकृति (genetic disorder) हो सकती है।

क्यों किया जाता है NT Scan? (Causes / Why NT Scan is Done):

  1. Down syndrome की संभावना का मूल्यांकन
  2. गर्भस्थ शिशु में अन्य क्रोमोसोमल असामान्यताओं की पहचान
  3. भ्रूण के दिल की समस्याओं का पूर्व संकेत
  4. गर्भावस्था में जोखिम मूल्यांकन (Pregnancy risk assessment)
  5. गर्भावस्था को नियंत्रित करने और समय पर उचित निर्णय लेने हेतु

NT Scan के लक्षण (Symptoms or Indications for NT Scan):

NT Scan कोई बीमारी का लक्षण नहीं होता, यह एक नियमित prenatal जांच है। परन्तु कुछ परिस्थितियों में इसकी आवश्यकता विशेष रूप से हो सकती है:

  1. महिला की आयु 35 वर्ष या उससे अधिक हो
  2. पहले गर्भ में Down syndrome या अन्य अनुवांशिक रोग रहा हो
  3. IVF या अन्य assisted reproductive technique से गर्भ ठहरा हो
  4. परिवार में आनुवांशिक विकारों का इतिहास हो
  5. डॉक्टर द्वारा First Trimester Screening (FTS) की सलाह दी गई हो
  6. माँ को मधुमेह या अन्य जटिलता हो

NT Scan की प्रक्रिया (Procedure of NT Scan):

  1. समय: यह स्कैन गर्भावस्था के 11वें से 14वें सप्ताह (भ्रूण की लंबाई 45–84 mm होनी चाहिए) के बीच किया जाता है।

  2. तैयारी: टेस्ट के लिए आमतौर पर खाली पेट रहने की आवश्यकता नहीं होती। हल्का पानी पीने से अल्ट्रासाउंड स्पष्ट होता है।

  3. प्रक्रिया:

    1. महिला को पीठ के बल लेटाया जाता है।
    1. अल्ट्रासाउंड डिवाइस के माध्यम से भ्रूण की तस्वीरें ली जाती हैं।
    1. गर्भस्थ शिशु की गर्दन के पीछे मौजूद translucent area की मोटाई मापी जाती है।
    1. स्कैन लगभग 15–20 मिनट में पूरा होता है।
  4. Double Marker Test के साथ इसे जोड़ा जाता है ताकि जोखिम का समग्र मूल्यांकन हो सके।

NT Scan की रिपोर्ट का मतलब (Interpretation of NT Scan Report):

  • ≤ 2.5 से 3.0 mm तक की मोटाई सामान्य मानी जाती है।
  • > 3.0 mm होने पर भ्रूण में Down syndrome या अन्य जीन संबंधी समस्या की संभावना मानी जाती है।
  • यह निश्चित निदान (Definitive diagnosis) नहीं देता, बल्कि जोखिम की संभावना (Risk Assessment) बताता है।

NT Scan इलाज (Treatment):

NT Scan इलाज नहीं बल्कि जांच है। यदि स्कैन में असामान्यता पाई जाती है, तो आगे के डायग्नोस्टिक टेस्ट किए जाते हैं:

  1. Non-invasive prenatal testing (NIPT)
  2. Chorionic Villus Sampling (CVS)
  3. Amniocentesis
  4. Genetic Counseling

यदि किसी गंभीर अनुवांशिक स्थिति की पुष्टि होती है, तो दंपति को आगे के विकल्प (जैसे गर्भ जारी रखना या न रखना) पर जानकारी दी जाती है।

NT Scan कैसे रोके (Prevention):

Chromosomal abnormalities को पूरी तरह से रोका नहीं जा सकता, परंतु कुछ उपायों से जोखिम को कम किया जा सकता है:

  1. गर्भधारण से पहले फोलिक एसिड का सेवन
  2. जेनेटिक काउंसलिंग अगर परिवार में कोई आनुवांशिक विकार हो
  3. गर्भावस्था के पहले तिमाही में नियमित जांच
  4. अस्वस्थ जीवनशैली (धूम्रपान, शराब) से बचाव

घरेलू उपाय (Home Remedies):

चूंकि NT Scan एक जाँच प्रक्रिया है, इसलिए घरेलू उपाय इसकी जगह नहीं ले सकते। फिर भी गर्भावस्था में कुछ बातों का ध्यान रखें:

  1. पौष्टिक आहार लें – हरी पत्तेदार सब्जियाँ, फल, नट्स, फोलिक एसिड युक्त खाद्य पदार्थ
  2. तनाव कम करें – प्राणायाम और ध्यान (meditation)
  3. नींद पूरी लें और थकावट से बचें
  4. तैलीय, प्रोसेस्ड और भारी भोजन से परहेज करें

सावधानियाँ (Precautions):

  1. समय पर NT Scan जरूर करवाएं (11–14 सप्ताह के बीच)
  2. यदि रिपोर्ट में असामान्यता हो तो घबराएं नहीं, आगे की जाँच करवाएं
  3. बिना डॉक्टर की सलाह के किसी स्कैन रिपोर्ट को न समझें
  4. Double marker test को NT scan के साथ मिलाकर ही मूल्यांकन करें
  5. स्कैन कराने के लिए विश्वसनीय और विशेषज्ञ सोनोग्राफर चुनें

कैसे पहचाने कि NT Scan की आवश्यकता है? (How to Identify If You Need NT Scan):

  1. आपकी गर्भावस्था का पहला तिमाही चल रहा हो
  2. डॉक्टर ने first trimester screening की सलाह दी हो
  3. आपकी आयु 35 वर्ष या उससे अधिक है
  4. पिछली प्रेगनेंसी में जन्मजात दोष रहा हो
  5. IVF से गर्भ ठहरा हो

FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले सवाल):

प्रश्न 1: क्या NT Scan से Down Syndrome का पता चलता है?
उत्तर: यह केवल Down Syndrome की संभावना बताता है, पुष्टि नहीं करता। इसके लिए अन्य टेस्ट जरूरी हैं।

प्रश्न 2: क्या NT Scan के कोई साइड इफेक्ट हैं?
उत्तर: नहीं, यह एक सुरक्षित और गैर-आक्रामक (non-invasive) स्कैन है।

प्रश्न 3: क्या NT Scan और Double Marker टेस्ट अलग हैं?
उत्तर: हाँ, लेकिन दोनों को मिलाकर First Trimester Screening का भाग माना जाता है।

प्रश्न 4: NT Scan कब सबसे अच्छा होता है?
उत्तर: गर्भावस्था के 11 से 13 सप्ताह और 6 दिन के बीच।

प्रश्न 5: क्या NT Scan ज़रूरी है?
उत्तर: हाँ, यदि आप गर्भावस्था की निगरानी को सुरक्षित और प्रभावी बनाना चाहती हैं।

निष्कर्ष (Conclusion):

NT Scan (Nuchal Translucency Scan) एक आवश्यक Prenatal Test है जो गर्भ में पल रहे शिशु में संभावित क्रोमोसोमल असामान्यताओं की पहचान में मदद करता है। यह न केवल माता-पिता को सही निर्णय लेने का अवसर देता है, बल्कि एक सुरक्षित गर्भावस्था की दिशा में पहला कदम भी है। यदि आप गर्भवती हैं या बनने की योजना बना रही हैं, तो समय पर यह स्कैन अवश्य कराएं और अपने स्त्री रोग विशेषज्ञ की सलाह के अनुसार आगे की प्रक्रिया अपनाएं।


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