Copy Number Variant Testing (कॉपी नंबर वेरिएंट टेस्टिंग) एक उन्नत जेनेटिक परीक्षण (genetic test) है जिसका उद्देश्य डीएनए (DNA) में उपस्थित कॉपी नंबर वेरिएंट्स (Copy Number Variants - CNVs) की पहचान करना होता है। ये वेरिएंट्स डीएनए के किसी हिस्से की अधिक (duplication) या कम (deletion) संख्या को दर्शाते हैं, जो कई प्रकार के विकासात्मक, मानसिक या आनुवंशिक रोगों का कारण बन सकते हैं।
यह परीक्षण विशेष रूप से उन बच्चों और वयस्कों के लिए उपयोगी होता है जिनमें मानसिक विकलांगता, विकास में देरी, मिर्गी या जन्मजात विकृति जैसे लक्षण पाए जाते हैं, लेकिन पारंपरिक टेस्ट से बीमारी का कारण स्पष्ट नहीं हो पाता।
Copy Number Variant Testing क्या होता है ? (What is Copy Number Variant Testing?)
Copy Number Variant Testing एक मॉलिक्यूलर जेनेटिक टेस्ट है, जो यह पहचानने में मदद करता है कि व्यक्ति के डीएनए में कोई हिस्सा अतिरिक्त (duplication) या कम (deletion) हो गया है या नहीं। यह वेरिएंट्स पूरे जीन (gene) या जीन के हिस्सों में हो सकते हैं और इनका असर व्यक्ति के शारीरिक, मानसिक और न्यूरोलॉजिकल स्वास्थ्य पर पड़ सकता है।
यह परीक्षण Array CGH (Comparative Genomic Hybridization), MLPA (Multiplex Ligation-dependent Probe Amplification) या Next Generation Sequencing (NGS) तकनीकों से किया जाता है।
Copy Number Variant Testing इसके कारण (Reasons for Recommending the Test):
- विकास में देरी (Developmental Delay)
- बौद्धिक अक्षमता (Intellectual Disability)
- मिर्गी (Epilepsy)
- आत्मकेंद्रित लक्षण (Autism Spectrum Disorder)
- जन्मजात शारीरिक विकृति (Congenital Malformations)
- व्यवहार संबंधी समस्याएँ (Behavioral Issues)
- परिवार में किसी अनुवांशिक रोग का इतिहास
Copy Number Variant Testing के लक्षण (Symptoms of conditions detected by Copy Number Variant Testing):
Copy Number Variant Testing उन रोगों की पहचान करता है जिनमें निम्नलिखित लक्षण हो सकते हैं:
- मानसिक विकास में देरी
- बोलने या सुनने की क्षमता में कमी
- मांसपेशियों की कमजोरी
- शारीरिक विकृति (जैसे चेहरा, हाथ, अंगुलियाँ आदि)
- बार-बार दौरे (Seizures)
- सीखने की समस्याएँ
- आत्मकेंद्रित व्यवहार
- सामाजिक कौशल की कमी
- वजन या कद में असामान्यता
- हार्मोनल या प्रजनन विकार
Copy Number Variant Testing इलाज (Treatment if Abnormal CNV Found):
Copy Number Variant Testing कोई इलाज नहीं बल्कि एक डायग्नोस्टिक टूल है। यदि किसी रोग का कारण CNV द्वारा पहचाना जाता है तो:
- रोग का सही निदान किया जा सकता है।
- रोग की गंभीरता और संभावित परिणाम को समझा जा सकता है।
- उपचार योजना जैसे फिजियोथेरेपी, स्पीच थेरेपी, विशेष शिक्षा आदि को तैयार किया जा सकता है।
- परिवार के अन्य सदस्यों के लिए जेनेटिक काउंसलिंग की जा सकती है।
- भविष्य में गर्भधारण से पहले जोड़ों को जेनेटिक स्क्रीनिंग की सलाह दी जा सकती है।
Copy Number Variant Testing कैसे रोके (Prevention):
कॉपी नंबर वेरिएंट्स आमतौर पर प्राकृतिक रूप से उत्पन्न होते हैं और इन्हें पूरी तरह से रोका नहीं जा सकता। लेकिन:
- परिवार में जेनेटिक बीमारी का इतिहास हो तो गर्भधारण से पहले जेनेटिक काउंसलिंग करें।
- गर्भावस्था के दौरान भ्रूण की जेनेटिक जांच जैसे Non-Invasive Prenatal Testing (NIPT) करवाएं।
- IVF करने वाले जोड़े PGD (Preimplantation Genetic Diagnosis) विकल्प का उपयोग कर सकते हैं।
घरेलू उपाय (Home Remedies):
कॉपी नंबर वेरिएंट से संबंधित स्थितियों के लिए कोई विशिष्ट घरेलू उपाय नहीं है, लेकिन लक्षणों को नियंत्रित करने के लिए निम्न उपाय सहायक हो सकते हैं:
- पोषक और संतुलित आहार
- विशेष शिक्षा और थेरेपी
- मानसिक व शारीरिक व्यायाम
- नियमित चिकित्सा जांच
- घरेलू वातावरण में सहयोगात्मक और सकारात्मक माहौल
सावधानियाँ (Precautions):
- किसी प्रमाणित जेनेटिक लैब से ही टेस्ट कराएं।
- रिपोर्ट को समझने के लिए जेनेटिक काउंसलर या विशेषज्ञ डॉक्टर से संपर्क करें।
- रिपोर्ट में “Variant of Unknown Significance (VUS)” आए तो घबराएं नहीं, इसका अर्थ है कि बदलाव का असर स्पष्ट नहीं है।
- परिवार में किसी अन्य व्यक्ति को लक्षण हों तो उसकी भी जांच कराएं।
- किसी निर्णय से पहले मानसिक और भावनात्मक तैयारी रखें।
कैसे पहचाने कि यह टेस्ट कब करवाना चाहिए? (When Should You Consider Copy Number Variant Testing?)
- बच्चे का विकास अन्य बच्चों की तुलना में धीमा हो।
- मिर्गी, आत्मकेंद्रित व्यवहार या मानसिक मंदता हो।
- शारीरिक विकृति या जन्मजात दोष हों।
- पारिवारिक इतिहास में किसी दुर्लभ अनुवांशिक बीमारी का उल्लेख हो।
- कई टेस्ट के बाद भी बीमारी का कारण स्पष्ट न हो पा रहा हो।
FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न):
प्रश्न 1: क्या Copy Number Variant Testing सुरक्षित है?
उत्तर: हाँ, यह टेस्ट ब्लड या सलाइवा सैंपल से किया जाता है और पूरी तरह सुरक्षित है।
प्रश्न 2: रिपोर्ट आने में कितना समय लगता है?
उत्तर: सामान्यतः 2 से 4 हफ्तों में रिपोर्ट मिल जाती है।
प्रश्न 3: क्या यह टेस्ट बीमारी का इलाज बताता है?
उत्तर: नहीं, यह टेस्ट बीमारी का कारण बताता है, इलाज डॉक्टर द्वारा अन्य उपायों से तय किया जाता है।
प्रश्न 4: क्या सभी CNV खतरनाक होते हैं?
उत्तर: नहीं, कुछ CNVs सामान्य भी हो सकते हैं, जबकि कुछ का असर गंभीर हो सकता है।
प्रश्न 5: क्या माता-पिता में भी यह टेस्ट होना चाहिए?
उत्तर: यदि बच्चे में CNV पाया गया है तो माता-पिता की भी स्क्रीनिंग की जा सकती है ताकि यह जाना जा सके कि यह बदलाव विरासत में आया है या नया है।
निष्कर्ष (Conclusion):
Copy Number Variant Testing (कॉपी नंबर वेरिएंट टेस्टिंग) एक शक्तिशाली और सटीक जेनेटिक डायग्नोस्टिक टूल है जो विकासात्मक, मानसिक और शारीरिक विकारों के मूल कारणों की पहचान में मदद करता है। समय पर यह टेस्ट करवाकर मरीज की बेहतर देखभाल, निदान और परिवार नियोजन की दिशा में ठोस कदम उठाए जा सकते हैं। यह परीक्षण विशेष रूप से उन परिवारों के लिए उपयोगी है जहाँ किसी जेनेटिक बीमारी का संदेह हो लेकिन पारंपरिक जांचों से स्पष्टता नहीं मिल रही हो।